डी.पी.एस. में हुआ माइंड रीडर सुहानी शाह का स्टैंडअप मैजिक शो
विभिन्न कार्यक्रमों से बच्चों के बौद्धिक क्षमता का विकास किया जा सकता है-धीरज अग्रवाल
धमतरी. देहली पब्लिक स्कूल धमतरी में फेमस मांइड रीडर , साईकोलॉजिस्ट और मैजिशियन सुहानी शाह का स्टैंडअप शो संपन्न हुआ।
डी.पी.एस. में उनका छात्र छात्राओं एवं पालकों की उपस्थिति में भव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण व दीप प्रज्जवलित कर किया गया। तत्पश्चात विद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा उनके स्वागत में मनमोहक गीत प्रस्तुत किया गया। शो की शुरूआत में सुहानी ने छात्रों तथा पालकों के मन की बात बतायी ह्मयूमन साईकोलॉजी पर बेस्ड इस मैजिक शो में सुहानी ने कई इंट्रेस्टिग एक्टिविटी के जरिए मोबाइल या एटीएम का पासवर्ड व्यक्ति की सोच और गणित के अंको का खेल, जैसे आर्श्चयजनक प्रदर्शन पलक झपकते बता दिया। और हर आयुवर्ग के लोगो को इंट्रेस्ंटग एक्टिविटी से एंटरटेन किया। अपने संक्षिप्त उद्बोधन में उन्होने अपने जीवन के संघर्षो को बताते हुए कहा की उन्होने अपना पहला शो 7 वर्ष की आयु में किया और अनेक संझर्षो का सामना करते हुए 25 वर्षो के संघर्षो के बाद आज इस मुकाम तक पहुंची हूं। बच्चों को प्रेरणा देते हुए सुहानी ने कहा की अपने जीवन में संघर्ष का सामना करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। और सफलता पाना चाहिए विद्यालय पढ़ाई और ज्ञान पाने का माध्यम है। जहाँ से हम अपने कैरियर को बना सकतें है। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों का फोकस पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में भाग लेकर अपने बौद्धिक क्षमता का विकास किया जा सकता है। अपने शो के माध्यम से उन्होने उपस्थित पालकों को अन्य गतिविधियों के माध्यम से अपने टेलेट का प्रदर्शन कर बच्चों और पालकों का मन मोह लिया।
सुहानी शाह ने विद्यालय के संचालक धीरज अग्रवाल को उनके जन्म दिवस की बधाई केक खिलाकर दिया एवं विद्यालय के अच्छे संचालन के लिए शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्राचार्य दिलीप कुमार दत्ता ने कहा की इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों के बौद्धिक क्षमता का विकास किया जा सकता है। जिसका साक्षात प्रमाण सुहानी शाह के मैजिकल, साईकोलॉजिकल थ्योरी है। जिससे प्रेरणा लेकर बच्चे अपना बौद्धिक विकास कर सकते है।
इस कार्यक्रम में विद्यालय के संचालक धीरज अग्रवाल श्रीमती निधि अग्रवाल एवं विद्यालय के पालकगण उपस्थित थे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त शिक्षक शिक्षिकाओं का विशेष सहयोग रहा।