वन्य जीवो के सही आंकड़े नहीं, 20 साल पुराने गणना से हो रहा वन्य जीव संरक्षण अभियान प्रभावित
2012, 2018 में भी हुई थी गणना लेकिन नहीं मिल पाई रिपोर्ट, बदला वन्य जीवों का आंकड़ा
धमतरी। धमतरी जिले में बिना वन्य जीवों के आंकड़ो के वन्य जीव संरक्षण अभियान सालों से चल रहा है। इससे अभियान भी प्रभावित होता है। 20 साल में वन्य जीवों की संख्या और परिस्थिति में काफी बदलाव आया है। इसलिए नये सटीके आंकड़ो की आवश्यकता है। बता दे कि साल 2005 में वन्य जीवों की गणना की गई थी और उसके आंकड़ो पर ही अब तक विभाग टिका हुआ है। नियमानुसार हर 5 साल बाद वन्य जीवो की गणना होनी चाहिए। लेकिन इसका पालन भी नहीं हो पाता साल 2005 के बाद साल 2012 में और 2018 में भी वन्य जीवों की संख्या जानने गणना हुई। गणना के दौरान मिले फुटप्रिंट फोटोग्राफ्स सहित अन्य जानकारी भारतीय वन्यजीव संरक्षण सोसायटी देहरादून भेजी थी जिसकी रिपोर्ट नहीं मिल पाई। ऐसे में स्थानीय अधिकारी कर्मचारी भी नही जानते कि जिले के वनों में कितने वन्य प्राणी है। केवल अनुमान के आधार पर ही वन्यजीव संरक्षण का कार्य जारी है।
2005 में थे 4 बाघ, 93 तेन्दुआ
बता दे कि साल 2005 में की गई वन्य जीव गणना में उस समय जिले में 4 बाघ, 93 तेन्दुआ, 76 जंगली कुत्ता, 254 सोन कुत्ता, 1220 गौर, 91 सांभर, 98 भालु थे। लेकिन पिछले कई सालों से जिले में बाघ का नामो निशान नहीं है। अब आशंका है कि जिले में बाघ नहीं बचे है। वहीं जीवो के प्रकार व संख्या में भारी परिवर्तन आया है। पहले जिले में हाथी नहीं थे अब हाथियों के लगातार विचरण से हाथी की संख्या बढ़ी है। भालू, तेन्दुआ व अन्य वन्य प्राणियों की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है। इसलिए वन्य जीव की फिर से गणना की आवश्यकता है।