जैन समाज द्वारा धूमधाम से मनाया गया भगवान पार्श्वनाथ का जन्मकल्याणक महोत्सव
पौष बदी दशमी का दिन जैन धर्म के तेइसवे तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान के जन्मकल्याणक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी उपलक्ष्य में आज श्री पार्श्वनाथ जिनालय इतवारी बाजार में भी पार्श्वनाथ परमात्मा की पूजा प्रातः 10 बजे विधिकारक विमल पारख द्वारा संपन्न कराई गई। रात्रि में स्थानीय मंडलों द्वारा परमात्मा की भव्य भक्ति की जाएगी। साथ ही 108 दिए से परमात्मा की आरती हुई ।जैन समाज के कुशल चोपड़ा ने बताया कि परमात्मा पार्श्वनाथ को पुरुषदानी भी कहते है। क्योंकि परमात्मा ने 500 कल्याणको में भाग लिया था। आज के दिन परमात्मा का जन्मकल्याणक हुआ था। परमात्मा स्व-पर कल्याणक कहलाते है। जैन दर्शन के अनुसार परमात्मा के 108 नाम है। और 108 नाम के अलग अलग 108 तीर्थ है। पूरे भारत में पार्श्वनाथ भगवान का तीर्थ सबसे अधिक है। धमतरी के श्री पार्श्वनाथ जिनालय में भी श्री मूल्यनायक के रूप में परमात्मा पार्श्वनाथ विराजमान है। धमतरी का पार्श्वनाथ जिनालय भी तीर्थ स्वरूप है क्योंकि इसे 100 वर्ष से अधिक हो गया है.कार्यक्रम में भंवरलाल छाजेड़, लूणकरण गोलछा , प्रकाशचंद बैद, सुरेश गोलछा, मोहन गोलछा, वीरेंद्र गोलछा, महेंद्र गोलछा, विमल पारख, कुशल चोपड़ा, सरोज पारख, निहारिका पारख सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।
कल संघवी का होगा सम्मान
कल 26 दिसम्बर को श्री पार्श्वनाथ जिनालय में संघवी राणुलाल विजय कुमार गोलछा का श्रीसंघ द्वारा सम्मान किया जाएगा। उनके द्वारा 18 से 25 दिसम्बर तक गिरनार यात्रा सहित पालीताणा की पदयात्रा कराई गई। प्रातः 10 बजे सदर बाजार स्थित निवास से बाजे गाजे के साथ मंदिर पहुंचेंगे वहां भगवान का दर्शन वंदन करने के पश्चात वही पर सम्मान का कार्यक्रम संपन्न होगा।