जब टेस्टिंग हो रही थी, फिर शिविर क्यों? नगर निगम की कार्यप्रणाली पर उपनेता प्रतिपक्ष विशु देवांगन ने उठाया सवाल

धमतरी। स्वास्थ विभाग के मितानिन द्वारा मानसून से पहले और बाद में जल परीक्षण करना नियमित प्रक्रिया का हिस्सा होता है, लेकिन इस बार नियमों को ताक पर रख दिया गया। न तो मानसून पूर्व जल परीक्षण किया गया, न ही बाद में। जब उपनेता प्रतिपक्ष विशु देवांगन ने इस मुद्दे पर आयुक्त को पत्र लिखकर कड़ा सवाल उठाया, तब जाकर हरकत में आई नगर सरकार और आनन-फानन में शिविर आयोजन का आदेश जारी कर दिया गया। गौरतलब यह है कि जिस पत्र को लेकर 3 तारीख को मांग की गई थी, उसी के बाद आयुक्त ने निर्देश दिए, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से शिविर आयोजन का आदेश बैक डेट में 2 जुलाई को जारी किया गया। इससे नगर निगम की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है—क्या यह आदेश सिफऱ् कागजी खानापूर्ति है, या फिर सवालों से बचने के लिए तारीखों में हेराफेरी की गई है? इधर जल विभाग के सभापति ज़ोर-शोर से जल परीक्षण की बात कर रहे हैं, लेकिन यदि परीक्षण की प्रक्रिया पहले से ही जारी थी, तो फिर 3 तारीख को पत्र मिलने के बाद ही हरकत में क्यों आए अधिकारी?अगर पहले से ही सब कुछ दुरुस्त था तो आदेश बैक डेट में क्यों निकाला गया? जल विभाग के सभापति को सफाई देने की जरूरत क्यों पड़ रही है? कांग्रेस महिला पार्षद सुमन मेश्राम, उमा ध्रुव,पूर्णिमा रजक, रामेश्वरी कोसरे ने तंज कसते हुए कहा जब उप नेता प्रतिपक्ष ने पत्र लिखा तो तत्काल आदेश निकाला गया। यदि मानसून के दौरान दूषित पानी से कोई जन स्वास्थ्य संकट खड़ा होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और संबंधित विभागों की होगी।
