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जीवन में हमे चरित्र व गुण विकास के बारे में चिंतन करना चाहिए – प.पू. प्रशम सागर जी म.सा.


धमतरी। परम पूज्य उपाध्याय प्रवर अध्यात्म योगी महेंद्र सागर जी महाराज साहेब परम पूज्य उपाध्याय प्रवर युवा मनीषी स्वाध्याय प्रेमी मनीष सागर जी महाराज साहेब के सुशिष्य परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहेब परम पूज्य योगवर्धन जी महाराज साहेब श्री पाश्र्वनाथ जिनालय इतवारी बाजार धमतरी में विराजमान है। आज परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहेब ने प्रवचन के माध्यम से फरमाया कि परमात्मा कहते है भगवती सूत्र एक ऐसा आगम है जिसमें परमात्मा प्रभु महावीर से गौतम स्वामी ने जो प्रश्न पूछा और परमात्मा ने उसका जवाब दिया। इस सूत्र में 36000 प्रश्नों का संकलन है। संसार में केवलज्ञान ही ऐसा जान है जो अनंत है। उत्तराध्ययन सूत्र का पहला अध्याय विनय श्रुत अध्ययन है। इसके माध्यम से परमात्मा फरमाते है मनुष्य जीवन में दो कार्य करता है पहला व्यक्तित्व विकास और दूसरा चरित्र का विकास। संसार में सभी व्यक्तित्व विकास की बात करते है जबकि परमात्मा चरित्र विकास की बात करते है। क्योंकि चरित्र अर्थात गुण के आधार पर आने वाला भव मिलेगा। परमात्मा का मंदिर बनाना व्यक्तित्व विकास हो सकता है किंतु परमात्मा हृदय में आ जाए ये चरित्र विकास है। संसार में हमे अच्छे व्यक्तित्व वाला व्यक्ति प्रिय लगता है जबकि परमात्मा को चरित्रवान व्यक्ति प्रिय लगता है। परमात्मा कहते है हमारा चरित्र हमें प्रसन्न रखता है उसके बाद समाधि (बिना किसी इच्छा के प्रसन्न रहना) प्रदान करता है। चरित्रगुण हमे जीवन के साथ प्रसन्नता और समाधि तथा जीवन के बाद सदगति या मुक्ति दे सकता है। पालकगण जीवन भर अपने बच्चों के परीक्षा में अच्छे नंबरों की इच्छा रखते है लेकिन उनके जीवन में अच्छे चरित्र अर्थात अच्छे गुण के विकास के बारे में नहीं सोचते। विनय दो प्रकार के होते है। लौकिक विनय और लोकोत्तर विनय।
18 पाप स्थानकों में दूसरा है मृषावाद – इसका अर्थ है झूठ बोलना। एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ बोलना पड़ता है। मृषावाद के पाप को रोकने के लिए प्रमाणिकता अर्थात वास्तविकता अर्थात सत्य से प्रेम करना चाहिए। सत्य से प्रेम करने वाला कभी झूठ नहीं बोलता। सत्यता अर्थात प्रमाणिकता का प्रमाणपत्र स्वयं के द्वारा स्वयं को मिलना चाहिए। अपनी गलती को नहीं बताना या सही बात को गलत ढंग से बताना। ये भी मृषावाद है। अहितकारी सत्य भी झूठ के समान है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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