धमतरी का नया मुकाम : पशुपालन से आत्मनिर्भरता और खुशहाली की ओर
बैंकों द्वारा 10 करोड़ के 15 प्रकरण बैंकों द्वारा स्वीकृत

*धमतरी, 10 सितंबर 2025//कभी गांवों में पशुपालन को सिर्फ सहायक काम माना जाता था—घर में दूध, अंडा या थोड़ा-बहुत मांस मिल जाए, बस इतना ही। लेकिन आज धमतरी जिले की तस्वीर बदल चुकी है। अब यही पशुपालन किसानों की आर्थिक रीढ़ बन गया है और गांव की खुशहाली की पहचान भी। खेतों के साथ-साथ गोठान और पशु शेड भी किसानों की आय बढ़ाने के बड़े साधन बन गए हैं।*
*जिले में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के अंतर्गत उद्यमिता विकास कार्यक्रम (EDP) में भी जिले से उल्लेखनीय प्रगति हुई है। प्राप्त ऑनलाईन आवेदनों में से बैकयार्ड पोल्ट्री एवं हैचरी, भेड़ एवं बकरी पालन तथा पिगरी (सूकर पालन) जैसे प्रकरण शामिल हैं। अब तक कुल 37 प्रकरण प्रेषित हुए, जिनमें 28 की स्वीकृति मिल चुकी है। भेड़-बकरी पालन के 28 में से 24 प्रकरण SIA में लंबित रहे, जबकि 15 प्रकरण बैंकों द्वारा स्वीकृत किए गए। *
*वहीं, पोल्ट्री और पिगरी उद्यमिता से जुड़े आवेदनों में भी किसानों को लाभान्वित किया गया है। जिनकी लागत लगभग 10 करोड़ रुपये है। यही कारण है कि धमतरी जिले ने पशुपालन के क्षेत्र में प्रदेश में एक नया मुकाम हासिल किया है। पशुपालन क्षेत्र में इतनी बड़ी राशि का हितग्राहियों को ऋण स्वीकृत प्रदेश में जिला अग्रणी है । यही कारण है कि धमतरी जिले ने कृषि के साथ पशुपालन के क्षेत्र में प्रदेश में एक नया मुकाम हासिल किया है।*
*ये प्रकरण केवल कागज़ी आंकड़े नहीं हैं, बल्कि गांव-गांव में किसानों के सपनों को पंख देने वाली कहानियां हैं। कहीं कोई किसान दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए ऋण लेकर आधुनिक डेयरी यूनिट खड़ा कर रहा है, तो कहीं महिलाओं की समिति बकरी पालन से आत्मनिर्भर बन रही है। ये प्रकरण कभी व्यक्तिगत तो कभी सामूहिक स्वरूप में स्वीकृत हुए हैं, लेकिन हर मंजूरी ने ग्रामीण जीवन को नई दिशा दी है।*
*इसके साथ ही किसानों की सुविधा के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना भी गांवों तक पहुंची है। जिले में 1700 आवेदन तैयार किए गए, जिनमें से 180 किसानों को स्वीकृति भी मिल चुकी है। यह सिर्फ कर्ज नहीं, बल्कि किसान की मेहनत को पहचान और उसके सपनों को सहारा देने जैसा है। चाहे वह खेत में बीज बोने का मामला हो या पशुओं के लिए चारा खरीदने का, किसान क्रेडिट कार्ड ने आर्थिक चिंताओं को कम किया है।*
*पशुपालन को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के तहत भी किसानों ने बड़ी पहल की है। बैकयार्ड पोल्ट्री, भेड़-बकरी पालन और पिगरी जैसी गतिविधियों से ग्रामीणों की जिंदगी बदल रही है। अब तक 37 प्रकरण भेजे गए हैं, जिनमें से 28 को मंजूरी मिल चुकी है। कल्पना कीजिए, किसी छोटे किसान के घर में पहले दो-तीन बकरियां ही थीं, लेकिन अब उसी के पास दर्जनों बकरियों का झुंड है, जिससे वह न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है, बल्कि बाज़ार में भी अपनी पहचान बना रहा है।*
*धमतरी जिले की यह पहल केवल आर्थिक मजबूती का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का जरिया भी है। महिलाएं अब घर की चारदीवारी से निकलकर समितियों में जुड़ रही हैं, अपने उत्पाद बेच रही हैं और घर की आय में बराबर की हिस्सेदारी निभा रही हैं। युवाओं को गांव छोड़कर शहरों में पलायन नहीं करना पड़ रहा, क्योंकि उन्हें अब अपने ही गांव में रोजगार और व्यवसाय मिल रहा है।*
*कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा से लेकर बैंक अधिकारी और पंचायत से लेकर समितियां—सब मिलकर इस बदलाव को गति दे रहे हैं। जब कोई किसान अपने पशु शेड से निकलते दूध के कनस्तरों को देखता है या कोई महिला समिति अपने पोल्ट्री फार्म में हजारों चूजों की चहचहाहट सुनती है, तो उनके चेहरे पर जो मुस्कान आती है, वही असली सफलता की पहचान है।*
*धमतरी ने साबित कर दिया है कि अगर योजनाओं को सही दिशा में लागू किया जाए और किसानों की मेहनत से जोड़ा जाए, तो गांव भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं और किसान समृद्धि की नई गाथा लिख सकते हैं।*


