राधाकृष्ण भवन में प्रसन्न होंगे शिव, 7 से 12 अगस्त तक श्री शिव मानस कथा-यज्ञ एवं आचार्य झम्मन सुनाएंगे रुद्राभिषेक व शिव महिमा
पहली बैठक के बाद आयोजक पं. राजेश शर्मा ने कहा अधिकमास में शिव की अधिकतम कृपा धमतरी को मिले यही कामना है
धमतरी। धमतरी में आगामी 7 से 12 अगस्त तक शिव मानस कथा यज्ञ एवं रूद्राभिषेक- का आयोजन होने जा रहा है। प्रसिद्ध व्याख्यान दिवाकर आचार्य झम्मन शास्त्री के दिव्य आभा मंडल में ये पुण्य आयोजन समपन्न होगा। महोत्सव का आयोजन महालक्ष्मी ग्रीन स्थित राधा कृष्ण भवन में होना है इस पांच दिवसीय यज्ञ और रूद्राभिषेक के आयोजक समाज सेवी पं. राजेश शर्मा है। इस संबंध में तैयारियो के सिलसिले में पहली बैठक शनिवार 29 जुलाई को राधा कृष्ण भवन में रखी गई, बैठक में पुण्य आयोजन के प्रचार प्रसार, सजावट श्रृंगार, यज्ञ और रूद्राभिषेक सहित भक्तो और श्रोताओ के बैठक की तमाम व्यवस्था और प्रबंधन के लिये जिम्मेदारियो का बंटवारा किया गया, आयोजन समिति की महिलाओ के जिम्मे श्रृंगार, सजावट का काम होगा, इसी तरह पाम्प्लेट वितरण और भंडारा आदि के लिये भी जिम्म्दारियां तय कर दी गई है। श्री शिव मानस कथा यज्ञ एवं रूद्राभिषेक 7 अगस्त दिन सोमवार को आरंभ होगा, सुबह 11 बजे से 1 बजे तक रूद्राभिषेक होगा। साथ ही कथा भी आरंभ होगा, जो प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से 5 बजे तक चलेगा। आचार्य झम्मन शास्त्री श्री शिव मानस कथा का वाचन करेंगे। आयोजन के अंतिम दिन यानी 12 अगस्त दिन शनिवार को यज्ञ-पूर्णाहूति होगी और अंत में दिन के 12 बजे से विशाल भंडारा शुरू होगा। आयोजक पं. राजेश शर्मा ने बताया कि पूरूषोत्तम मास या जिसे अधिक मास भी कहते है, इस हिंदू वर्ष में सावन में पुरूषोत्तम मास आया है जो कि बहुत ही शुभ होता है, इस समय में महादेव की उपासना, आराधना, अभिषेक, जप तप और यज्ञ से शिव प्रसन्न होते है और कृपा बरसाते है। पं. राजेश शर्मा ने कहा कि वे चाहते है कि, कैलाशपति की कृपा से धमतरी के कण कण का कल्याण हो, और शाश्वत शिव-शक्ति से सत्य सनातन धर्म का संचार समस्त विश्व में हो इसी कामना से, ये आयोजन किया जा रहा है।
क्या है पुरूषोत्तम मास
ऋतु, सौर माह के अनुसार, सूर्य की गति के अनुसार बने हुए हैं। सूर्य अश्विनी नक्षत्र से भ्रमण करते हुए फिर से उसी जगह आता है। उस कालावधि को सौर वर्ष कहा जाता है। चंद्र वर्ष एवं सौर वर्ष इनमें मेल होना चाहिए इसलिए अधिक माह का प्रयोजन है । चंद्र वर्ष 354 दिन एवं सौर वर्ष 365 दिन का होता है। अर्थात इन दोनों वर्षों में 11 दिन का अंतर होता है यह अंतर भर जाए तथा चंद्र वर्ष एवं सौर वर्ष इनका मेल बैठे इसलिए लगभग 32 1/2 माह (साढे बत्तीस) के बाद एक अधिक माह मानते हैं अर्थात 27 से 35 माह के बाद एक अधिक माह आता है। प्रत्येक माह में सूर्य 1-1 राशि में संक्रमण करता है परंतु अधिक मास में सूर्य किसी भी राशि में संक्रमण नहीं करता अर्थात अधिक मास में सूर्य संक्रांति नहीं होती। इस कारण चंद्र एवं सूर्य इनकी गति में फर्क पड़ता है एवं वातावरण भी ग्रहण काल के समान परिवर्तित होता है। इस परिवर्तित होते अनिष्ट वातावरण का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर ना हो इसलिए इस माह में व्रत एवं पुण्य दायक कृतियां करनी चाहिए ऐसा शास्त्र कारों ने कहा है। राधा-कृष्ण भवन में आयोजित पहली बैठक में मुख्य रूप से कुमार रणसिंह, प्रकाश शर्मा, श्रीमती हेमलता शर्मा, श्रीमती चित्र रेखा निर्मलकर, दिलिप राज सोनी, योगेश गांधी, भगेश बैद, मोहनलाल साहू, श्रीमती सरिता यादव, श्रीमती शारदा साहू, श्रीमती दमयंती गजेंद्र, श्रीमती नम्रता पवार, श्रीमती ईश्वरी पटवा, श्रीमती ममता सिन्हा, श्रीमती डाली सोनी, महेश साहू, राजकुमार शर्मा, डी पी भार्गव, नन्दू जसवानी, खूबलाल हिरवानी, महेश शर्मा, देवेश अग्रवाल, ननकू महराज, सन्नी मिश्रा, आकाश पाण्डेय, टीकेश्वर साहू, खोमन साहू, घनश्याम साहू, राकेश पटेल, गीतेश्वर साहू और नितेश कुमार शामिल हुए।
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