सरल स्वभाव में रहना ही उत्तम जीवन है-पं. चतुर्वेदी
मूलचंद सिन्हा
कुरुद। हर-हर महादेव महिला मंडल कुरूद द्वारा आयोजित श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवे दिन अयोध्या पीठाधीश्वर आचार्य प्रेमावतार स्वामी रामहर्षण दास के शिष्य आचार्य पंडित वीरेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि प्रकृति नहीं था तो भी भोलेबाबा थे, प्रकृति हैं तो भी भोले बाबा है और प्रकृति नहीं रहेगा तो भी भोले बाबा रहेंगे। भोले बाबा संसार के सार है। उन्होंने आगे कहा कि प्रभु को स्मरण करने का सरल मार्ग मन कर्म वचन के साथ समर्पण है जिससे ही प्रभु की प्राप्ति होती है। संसार की समस्त भौतिक चीजें नश्वर हैं मानव जीवन भी निश्चित आयु के साथ समाप्त हो जाता हैं और इंसान खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है उसके साथ उसके दान पुण्य, सत्कर्म और सच्ची भक्ति ही रह जाती हैं जो इंसान को भगवान से मिलाती है। सरल स्वभाव में रहना ही उत्तम जीवन है। स्वामी जी ने पुरुषोत्तम मास का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि पुरुषोत्तम माह को भगवान ने विशेष स्थान प्रदान किया है बारह माह के स्थान पर इस माह में दान पुण्य, पूजा अर्चना करने का दसगुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। इस अवसर पर मुरलीधर केला, भंवर लाल केला, छगन लाल, कैलाश सद्दानी, सुरेश केला, अरुण केला, प्रकाश केला, रामकिशोर केला, नवल किशोर केला, रमेश केला, प्रतिभा चंद्राकर, चंदा केला, रश्मि केला, मधु सद्दाणी, गीता केला, शांता केला, मनीषा केला, रेखा चांडक आदि उपस्थित थे।