शिव का संक्रमण काल शुरू हो चुका है, बीते 9 साल के घटना क्रम को अपडेटेड माइंड सेट से देखिये, शिव कृपा स्पष्ट दिखाई देगी- पं. राजेश शर्मा
विद्वत् विप्र परिषद के द्वारा किया गया शिव अभिषेक
धमतरी. राधा कृष्ण भवन में श्री शिव मानस कथा यज्ञ के चौथे दिन भी शिव रुद्राभिषेक किया गया, चौथे दिन पूज्य आचार्य झम्मन शास्त्री और 9 आचार्यो की सानिध्य में धमतरी विप्र विद्वत परिषद ने भोले नाथ का अभिषेक कर आशीर्वाद लिया, विद्वत परिषद के सदस्य वैसे तो साल भी प्रभु की सेवा पूजा करते है लेकिन राधा कृष्ण में आयोजित रुद्राभिषेक में, विप्रों ने धमतरी के लिए विशेष मंगल कामना के साथ रुद्र का अभिषेक किया।
इस दौरान प्रवीण पाठक राजेश शर्मा महेश तिवारी शास्त्री पं संतोष तिवारी पं होमन शास्त्री अयोध्या पाण्डेय श्रीकान्त तिवारी नरेश दीवान वैभव दीवान बसंत तिवारी पं जनक तिवार सहित बड़ी संख्या में भक्त गण मौजूद रहे.हम बचपन से कही न कही शिव पुराण और शिव महिमा सुनते आ रहे है. कभी टीवी के चित्रपट भी शिव जी से जुड़ी कथाएं देखने को मिलती है।लेकिन आज शिव की महिमा याथार्थ में भारत में घट रही है, आज अगर राधा कृष्ण भवन में शिव मानस कथा हो रही है, या कही और भी हो रही है तो, इसे जरूर सुने, लेकिन अब शिव महिमा सुनते समय जो सदियो पुराना माइंड सेट चलता आ रहा है, उसे बदलने की जरूरत है, सुनने का माईंड सेट बदलेगातो समझने का तरीका और दृष्टिकोण भा बदलेगा, अब जरा ज्यादा गौर से शिव महिमा सुनने का समय शुरू हो चुका है क्योंकि. शिव अब अप्रत्क्ष रूप से कृपाबरसा रहे है. नये माइंड सेट से देखिये ये कृपा आपको प्रत्यक्ष दिखाई देगी। सनातन धर्म और शास्त्रो पर थोड़ी भी जानकारी है जरां ध्यान से देखने पर स्पष्ट दिखाई देगा कि, भारत में शिव की महिमा और कृपा बरसना शुरू हो चुका है। इसके एक नही बल्कि अनेक संकेत है। ये संकेत बताते है कि, शिव और शक्ति के प्रवाहकी दिशा अब भारत की धरती की तरफ लौट रही है, और देश में शिव खुद ही अपने प्राकट्य के मार्ग बना रहे है, मनुष्य उसके निमित्त मात्र है।और अगर मनुष्य के पास शक्तिया न हो तो वो कड़े फैसले ले ही नहीं सकता, चाहे वो अपने घर का मुखिया हो या प्रदेश का या देश का इससे पहले जिनके पास देश का नेतृत्व रहा उनके ढीले रवैये की चर्चा आज भी राजनीति में होती रहती है। आज का नेतृत्व कड़े फैसले ले रहा है इसके पीछे शिव से मिली शक्ति ही है। और जहां तक शिव जी के संकेतो का सवाल है तो.पहले भारत के प्रधानमंत्री अपना गृह प्रदेश छोड़ वाराणसी से सांसद बनते है, बाबा विश्वनाथ के मंदिर और गंगा मईया को सदियो पुरानी असहज स्थिति से बाहर निकालने के लिये पूरी ताकत से काम करते है, आज विश्व का सबसे प्राचीन नगर वाराणसी, दुनिया के आकर्षण का केंद्र है, गोवा से ज्यादा पर्यटक वाराणसी और उत्तर प्रदेश में आ रहे है,दूसरा उज्जैन के महाकाल मंदिर का कायाकल्प और वहां अचानक से बढ़ रही भक्तो की भीड़ भी शिव की प्रसन्नता का स्पष्ट संकेत है।
तीसरा ज्ञानवापी के शिवलिंग का अचानक चर्चा में आना, निचली अदालत से सर्वोच्च अदालत में आपत्तियो के बावजूद, एएसआई का सर्वे शुरू होना और उस सर्वे में शिव से जुड़े प्रतीको का मिलना।और तीसरा ये कि भारत में जब नए संसद भवन का शुभारंभ हुआ तो, 28 मई को संसद के अदर स्पीकर के आसन के बगल में सैंगोल की स्थापना की गई, इसके पहले 27 मई को दक्षिण भारत के आचार्यो ने इस सैंगोल को रात करीब साढे 9 बजे प्रधानमंत्री आवास में जाकर मोदी जी को दिया था, तब ज्योष्ठ शुक्ल की अष्टमी तिथि लग चुकी थी और ये 28 मई की सुबह में वही तिथि थी, इस तिथि में धूमावती जयंती मनाई जाती है, धूमावती शक्ति का स्वरूप मानी जाती है, ये सातवी महा विद्या मानी जाती है, जो शतानी शक्तियो का नाश करती है। सैंगोल चोल वंश के राजाओ द्वारा स्थापित परंपरा है, चोल वंशी शैव थे, शिव के उपासक थे, इसलिये इस सैंगोल में नंदी जी विराजमान है, सैंगोल सत्ता के साथ साथ धर्म का, शक्ति का, न्याय का, मर्यादा का और अग्नि का प्रतीक भी है, , सैंगोल में नंदी विराजित है, नंदी का स्वभाव आक्रामक होता है, नये संसद में जो भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ बनाया गया है, उसमें बने सिंहो के आक्रामक चेहरे पर अनावश्यक सियासी बहस होती रही और आज आप देखें कि, देश के प्रधानमंत्री ने आतंकवाद और सीमा पर दुस्साहस करने वाले पड़ोसीयो के खिलाफ आक्रामक रूख रखा है, विदेश मंत्री एस जय शंकरदुनिया में अपने कड़े आक्रामक रूख के कारण चर्चा में रहते है, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गृह मंत्री अमित शाह ये सभी अपने मजबूत और आक्रामक एटीट्यूड के लिये जाने जाते है।आज भारत रक्षा के क्षेत्र में, अर्थव्यवस्था में, शिक्षा में, अंतरिक्ष में तो तेजी से आगे बढ़ रहा है, धर्म और अध्यात्म का क्षेत्र देखें तो वहां भी नई पीढ़ी आपको शिव भक्ति के मार्ग पर दिखाई देती है, और भारत एक हिंदू राष्ट्र बनता हुआ दिखाई दे रहा है. ये शिव का संक्रमण काल है, इस पुरूषोतेतम मास में शिव उपासना से सर्वोत्तम लाभ लेने का स्वर्णिम अवसर है।