तालाबों में पहुंच रहा गंदा पानी, गंदगी के चलते पानी हुआ उपयोग विहीन
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धमतरी । धमतरी शहर को पहले तालाबों का शहर कहा जाता था यहां बड़ी संख्या में तालाब हुआ करता था। जिसके कारण निस्तारी की समस्या नहीं थी और भूमिगत जल का लेवल भी गर्मी के मौसम में भी अच्छा बना रहता था। लेकिन साल दर साल तालाबों के अस्तित्व पर खतरा मंडराते जा रहा है। पहले तो तालाब को उपयोग विहिन किया जाता है उसके बाद धीरे-धीरे तालाब को किनारों से अतिक्रमण कर समेटा जाता है। वर्तमान में शहर में निगम रिकार्ड में लगभग 18-20 तालाब है। इनमें कई तालाबों को पानी गंदा हो चुका है। जिनसे इंसानों को नहाना तो दूर की बात है कपड़े भी नहीं धोया जा सकता है। कपड़े धोने से सुखाने के बाद भी बदबू आती है। और गंदे पानी के कारण डिजरजैंट में झाग भी ठीक से नहीं आता है। ज्ञात हो कि शहर के कई तालाबों में आसपास के घरो कालोनियों शौचालयों का गंदा पानी तालाबों में पहुंचता है। धीरे-धीरे तालाब का पानी गंदगी के चरम पर पहुंच चुका है। कई तालाबों का पानी गहरा हरा रंग का हो चुका है। छूने पर पानी सामान्य पानी की तुलना पर मोटा प्रतीत होता है। कुछ तालाबो में तो दूर से ही पानी से दुर्गंध आता है। इसलिए ज्यादातर तालाब अब उपयोग के लायक नहीं रह गये है। ज्ञात हो कि कुछ साल पहले तक शहर के अधिकांश तालाबों में लोग निस्तारी करते थे। लेकिन जिस प्रकार तालाबों का पानी गंदा हुआ और निगम द्वारा सफाई नहीं कराने के कारण अब लोग चाहकर भी तालाब के पानी का उपयोग नहीं कर पाते। गंदा पानी तालाब में पहुंचने के अतिरिक्त पूजन सामाग्री विसर्जित करने, मरे हुए जीव जंतुओं को तालाब में डालने से भी तालाब प्रदूषित होता है।
गंदगी के चलते निभाई जाती है सिर्फ रस्मो की औपचारिकता
बता दे कि हिन्दु धर्म में किसी की मृत्यु के बाद मृत्यु कार्यक्रम सम्पन्न कराया जाता है. जिसमें शरीर से लेकर कपड़ों मकान की शुद्धि करानी होती है। शरीर की शुद्धि हेतु तालाबों में परिवार सहित समाजजन नहावन में शामिल होते है। जिसके लिए पास के तालाब में पहुंचकर स्नान किया जाता है। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। लेकिन तालाबों में पानी गंदा होने के कारण अब लोग तालाब में स्नान के बजाय सिर्फ शरीर पर पानी का छिड़काव किया जाता है। इससे रस्मों को निभाने की औपचारिकता बस पूरी की जा रही है।