तापमान में बदलाव से बढ़ी किसानों की चिंता, सोसायटियों में धान को बचाना चुनौती
पश्चिमी विक्षोभ व बंगाल की खाड़ी में बने दबाव के चलते मौसम में आया बदलाव, बारिश की आशंका
धमतरी। 1 नवम्बर से जिले के 100 केन्द्रो में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी जारी है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से अचानक मौसम में आये बदलाव से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरे उभर आई है। वहीं सोसायटियों में पड़े धान को सुरक्षित रखना चुनौती बन गया है। बता दे कि पश्चिमी विक्षोभ व बंगाल की खाड़ी में बने दबाव के चलते प्रदेश भर में मौसम ने अचानक करवट ली है जिससे आसमान में बादल छाये हुए है। ठंडी हवाएं चल रही है। मौसम विभाग द्वारा भी कुछ जिलो में बारिश की चेतावनी जारी की गई है। वर्तमान में कई किसानों की फसल खेतो में खड़ी है। ऐसे में यदि बारिश होती है तो फसल खराब हो जाएगी। इसलिए किसानों की चिंता बढ़ गई है। ऐसे किसान जिनकी फसल अभी कटाई योग्य नहीं हुआ है वे भी अंतिम समय में मौसम की दगाबाजी को लेकर चिंतित है। हालांकि अभी तक बारिश नहीं हुई है लेकिन आंशका बनी हुई है इसी प्रकार सोसायटियों में कई लाख क्वंटल धान पड़ा हुआ है। यदि बारिश हुई तो धान भीगने का खतरा मंडारा रहा है। ऐसे में सोसायटी के कर्मचारी धान को बारिश से बचाने तिरपाल ढग रहे है। बारिश के साथ ओलावृष्टि का खतरा बना हुआ है इसलिए सावधान बरती जा रही है।
10 लाख क्विंटल से अधिक की हुई धान खरीदी
जिले के सभी 100 केन्द्रो में खरीदी जारी है। किसान रोजाना अपनी उपज बेचने पहुंच रहे है। 10 लाख क्विंटल से अधिक की धान खरीदी हो चुकी थी। ज्ञात हो कि जिले में कुल 1 लाख 24877 किसानो ने पंजीयन कराया है। जिनमें अब तक 28 हजार से अधिक किसानों ने धान बेचा है। जबकि 16 हजार से अधिक किसानों ने अपनी सम्पूर्ण कृषि रकबा की फसल की बिक्री कर ली गई है।
राईस मिलरों ने किया साढ़े 5 लाख क्विंटल धान का उठाव
बता दे कि कस्टम मीलिंग हेतु राईस मिलरों द्वारा पंजीयन कराकर अनुबंध कराया गया है। जिसके पश्चात प्रतिभूति राशि जमा कर डीओ जारी किया गया है। जिसके आधार पर मिलरों द्वारा उठाव भी तेजी से किया जा रहा है। कल की स्थिति में 10 लाख क्विंटल से अधिक की धान खरीदी हो चुकी थी। जबकि साढ़े 5 लाख क्विंटल धान का उठाव केन्द्रो से राईस मिलरों द्वारा कस्टम मीलिंग के लिए किया जा चुका है। लगभग साढ़े 4 लाख क्विंटल धान सोसायटियों में पड़ा हुआ है। बता दे कि वर्तमान में सिर्फ नान में चावल लिया जा रहा है। जबकि एफसीआई चावल अगले महीने से लिया जायेगा। इस प्रकार धान को सुरक्षित रखना परेशानी का सबब बन रहा है।