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भीषण गर्मी और जल संकट समझा रहा पर्यावरण संरक्षण का महत्व

लगातार घटती हरियाली, पानी व अन्य प्राकृतिक स्त्रोतो के अंधाधुन दोहन से बिगड़ रहा पर्यावरण का संतुलन

विश्व पर्यावरण दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर अगले दिन भूल जाते है संरक्षण का संकल्प
धमतरी)। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक कर पर्यावरण को सुरक्षित रखना है। इस दिन देश दुनिया में अनेक कार्यक्रम होते है। लोग पर्यावरण सरंक्षण के संबंध में शपथ और संकल्प लेते है। लेकिन अगले दिन ही भूल जाते है। यही कारण है कि अनेक प्रयासों के बाद भी पर्यावरण संरक्षित नहंी हो पा रहा है। और कई प्रकार प्राकृतिक आपदाओं का सामना हमे करना पड़ रहा है। इस साल रिकार्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है। नौतपा के 9 दिनों में तो गर्मी से लोग बेहाल रहे। इस गर्मी में जल संकट भी ज्यादा रहा। वाटर लेवल 21 मीटर तक चला गया जिससे कई बोर हैंडपंप सूख गये. तालाब, पोखरे आदि भी सूखे। बांधो में पर्याप्त पानी नहीं बचा। भीषण गर्मी और जल संकट ने पर्यावरण संरक्षण का महत्व लोगों को समझाया है। अंधाधुन पानी के दोहन व वनों की कटाई के कारण प्राकृतिक संतुलन लगातार बिगड़ता जा रहा है। विकास के लिए औद्योगिकी करण जरुरी है। लेकिन इसके साथ ही पौधरोपण, पानी का संरक्षण आदि भी आवश्यक है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मौसम चक्र में परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा हमे भविष्य के खतरों से आगाह कर रहे है।


सोशल मीडिया पर ज्ञान की भरमार
इस भीषण गर्मी में पौधरोपण और पानी के संरक्षण आदि ज्ञानवर्धक बातों की भरमार सोशल मीडिया में है। हर दूसरा व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण का ज्ञान बांट रहा है। लेकिन विडम्बना है कि स्वयं इस ज्ञान का अनुशरण नहीं कर रहे है। भूतकाल से लेकर वर्तमान और भविष्य के खतरों से आगाह तो कर रहे है लेकिन स्वयं इस ओर जागरुक नहीं हो रहे है।
अवैध कब्जे और वनों की कटाई से खतरा
धमतरी जिले वनों से अच्छादित है। जिले के कई वन मंडल रेंज व सीतानदी उदयन्ती टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वनों के भीतर पट्टे के लालच में अवैध कब्जा सालों से हो रहा है। कई बार वन अमला द्वारा कब्जा हटाया भी गया है। वहीं कीमती वनों की कटाई भी बदस्तूर जारी है। जिसका अवैध परिवहन हो रहा है। इससे वनों की संख्या घटती जा रही है।
पौधे तो लगाये लेकिन वृक्ष नहीं बन पाये
पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्यावरण व अन्य अवसरों पर संस्थाओं और जागरुक नागरिकों द्वारा पौधारोपण किया जाता है। पौधरोपण करना जितना महत्वपूर्ण है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि उक्त पौधो को सुरक्षित कर उसे वृक्ष बनाया जाये। लेकिन लोग पौधारोपण कर अपनी निजम्मेदारी से इति श्री कर लेते है। इसलिए अधिकांश रोपे गये पौधे या तो पानी नहीं मिलने, मवेशियों के चरने आदि कारणों से वृक्ष में तब्दील नहीं हो पाते है।
पर्यावरण संरक्षण हेतु वाटर हार्वेस्टिंग भी है आवश्यक
इस भीषण गर्मी में कई ऐसे क्षेत्र है जहां जल संकट विकराल रुपधारण कर चुका है। नदीं तालाब हैंडपंप बोर सूख गये है दैनिक उपयोग के लिए भी पानी मिलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में लगातार गिरते भूजल स्तर में सुधार हेतु वाटर हार्वेस्टिंग सबसे उत्तम तकनीक है। इससे वर्षा का पानी सीधे भूमि में जाता है। और वाटर लेवल रिचार्ज होकर हमे ही पानी उपलब्ध कराता है।
वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए जरुरी है पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण का संतुलन बनाये रखने में न सिर्फ पेड़ पौधे, मानव बल्कि पृथ्वी के सभी जीवों का अपना अपना योगदान होता है लेकिन वनों की अंधाधुन कटाई और जंगलों में इंसानों की दखल से वन्य प्राणियों की संख्या घटती जा रही है। जिले में भी लगातार वन्य प्राणियों के शिकार की शिकायते मिलती रहती है। कभी कंरट से तो कभी जहरीला पानी, हथियार से या विस्फोटक से शिकार होते रहे है। इससे वन्य प्राणियों की संख्या घटने की आंशका है। इससे पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ता है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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