पिछले 4 चुनाव में धमतरी जिले से भाजपा को बढ़त
कुरूद में भाजपा 3-1 से आगे, सिहावा-धमतरी में दोनों पार्टी को 2-2 बार जीत मिली
धमतरी । छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद से धमतरी जिले में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। पिछले चार चुनाव पर नजर डाले तो भाजपा को 2 सीट की बढ़त है। यह बढ़त भी कुरूद विधानसभा से भाजपा को मिली है। यहां हुए पिछले 4 विधानसभा चुनाव में भाजपा 3 और कांग्रेस को 1 बार जीत मिली। इस तरह यहाँ का रिजल्ट 3-1 हुआ। सिहावा में 2 बार भाजपा व 2 बार कांग्रेस के विधायक बने। इस तरह यहां मुकाबला 2-2 से बराबरी पर है। धमतरी में भी मुकाबला 2-2 से बराबरी पर ही है। 2 बार कांग्रेस तो 2 बार भाजपा के विधायक बने।
मिथक या संयोग
धमतरी विधानसभा में जिस पार्टी को जीत मिलती है,उसके उलट प्रदेश में सरकार बन रही। पिछले 3 चुनाव में लगातार ऐसा हो रहा। 2008,2013 में कांग्रेस से गुरुमुख सिंह होरा धमतरी विधानसभा से विधायक बने, तो प्रदेश में उक्त दोनों कार्यकाल में भाजपा की सरकार रही। 2018 में भाजपा से रंजना साहू विधायक बनी तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। अब इस बार यह मिथक टूटता है या जारी रहता है संयोग ये, तो 3 दिसंबर को ही पता चलेगा।
महिलाओं को कब कब मिली जीत
धमतरी जिले की तीनों सीट से इस बार महिलाओं का मुकाबला पुरुषों से है। भाजपा ने धमतरी से रंजना साहू,कांग्रेस ने कुरूद से तारिणी चंद्राकर, सिहावा से अम्बिका मरकाम को मौका दिया है। सिहावा में पिछले 4 चुनाव में 3 बार महिलाएं ही विधायक बनी। 2003 में पिंकी शिवराज शाह, 2008 में अम्बिका मरकाम, 2018 में लक्ष्मी ध्रुव विधायक बनीं। धमतरी में पिछले 4 चुनाव में 2018 में ही रंजना साहू महिला विधायक बनी। वहीं कुरूद में पिछले 4 कार्यकाल में महिलाएं जीत कर नहीं आ पाई हैं। 2003 में कांग्रेस की दीपा साहू, 2018 में कांग्रेस की लक्ष्मीकांता साहू को हार का सामना करना पड़ा था। 2023 के इस चुनाव में 3 महिलाएं मैदान पर हैं।
निर्दलियों ने सिर्फ वोट काटे, जीत नहीं मिली
जिले में हुए पिछले 4 विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा है। लेकिन एक भी निर्दलीय तो जीत नसीब नहीं हुआ। अधिकांश निर्दलियों की जमानत ही जब्त हुई है। पिछले बार धमतरी विधानसभा से निर्दलीय आनंद पवार व कुरुद विधानसभा से नीलम चन्द्राकर ने बेहतर प्रदर्शन किया था। जबकि शेष निर्दलियों की स्थिति खराब रही।