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उड़ीसा के धान को जिले में खपाने हो रहे तरह-तरह के प्रयास

बार्डर पार से चोरी छिपे लाया जाता है धान, मंडी में बेचने के नाम पर सौंदा पत्रक कटवा कर लाया जाता है धान

पुलिस की निगरानी का तस्करों में भय, लेकिन पूर्णत: नहीं थम पा रही अवैध धान की आवक
धमतरी। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर किसानों से कर रही है। इससे यहां के किसान समृद्ध हो रहे है। लेकिन पड़ोसी राज्यों में छत्तीसगढ़ जितना धान का दाम नहीं मिलता इसलिए ज्यादा दाम में धान बेचने तस्करों द्वारा कई तरीके अपनाये जाते है। सरकार के बाहरी धान को रोकने के सख्त निर्देश और पुलिस व अन्य विभागों के प्रयासों के बाद भी बाहरी धान के आवक पर पूर्णत: रोक नहीं लग पा रही है। बता दे कि धमतरी जिले में पड़ोसी राज्य उड़ीसा का धान ज्यादातर अवैध तरीके से पहुंचता है। धमतरी जिले की सीमा उड़ीसा से लगा हुआ है। यहां पहले बोराई के रास्ते धान की आवक होती थी लेकिन 24 घंटे पुलिस की पहरेदारी और जांच के कारण सीधे-सीधे धान की एंट्री मुश्किल है। इसलिए जंगलों के बीच अन्य रास्तों से धान धमतरी के सरहद में पहुंचाया जाता है। वहीं तस्कर अन्य मार्ग रायघर-भरन के रास्ते से बस्तर की ओर माकड़ी और बांसकोट होते हुए जिले में प्रवेश करते है। यहां पर स्थानीय किसानों से पहले से ही तस्करों की बात हो जाती है। ताकि धान पहुंचते ही उनके नाम पर केन्द्रो में धान को बेचा जा सके। इस प्रकार स्थानीय कुछ किसानों के सहयोग से ही तस्कर बाहर के अवैध धान को शासन को बेच पाते है। इसके अतिरिक्त तस्करों द्वारा धान को समर्थन मूल्य में बेचने हेतु एक और तरीका अपनाया जाता है। दरअसल छत्तीसगढ़ की मंडियों में बाहर के धान को भी बेचा जा सकता है। इसलिए उड़ीसा के धान को मंडी में बेचने सौदा पत्रक कटवाया जाता है। सौदा पत्रक कटे होने के कारण जांच के दौरान धान को कंही रोका भी नहीं जाता। अब तस्कर धान को मंडी में पहुंचाते है लेकन पूरा धान न बेचकर बड़ी मात्रा स्थानीय किसानों के सहयोग से केन्द्रो में खपाया जाता है। कई बार तो मंडी में आधा अधूरा धान भी बेचा नहीं जाता सीधे पूरा धान केन्द्रो में खपता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिरकार किसान अपनी


उपज बेचने के बजाय तस्करों का धान अपने नाम से खपाने क्यों तैयार हो जाते है। दरअसल वर्तमान में 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान सरकार खरीद रही है। बिना सिंचाई सुविधा वाले कई किसानों की उपज इतनी नहीं हो पाती वहीं सिंगल फसल वाले किसान स्वयं के उपयोग हेतु भी धान रखते है। इस प्रकार अपने हिस्से का धान नहीं बेच पाते और तस्करों के मुनाफे देने की बात पर अपनी नाम पर धान खपा देते है। हालांकि पुलिस की कड़ी पहरेदारी से बाहरी धान की आवक काफी कम हुई है लेकिन इस पर पूर्णत: रोक नहीं लग पाया है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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