बेघरों को कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे काटनी पड़ रही राते
दिन तो जैसे तैसे कट जाता है लेकिन ठंड में राते काटना ढा रहा बेघरों पर सितम
शहर में दो रैन बसेरा लेकिन रोजाना किराया चुका कर राते नहीं बिता सकते गरीब
धमतरी। बीते कुछ दिनों से ठंड बढऩे लगी है। ठण्डी हवाओं के आगमन से दिन सहित रात का पारा लगातार लुढ़का रहा है। ऐसे में रात में घरो के भीतर गर्म कपड़ों और कंबल, रजाई में भी ठंड लगती है, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग है जो इस कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे राते गुजारने मजबूर है। इनमें कुछ बेघर और बेसहारा और कुछ अर्धविक्षिप्त है ऐसे में इस ठंड में रोजाना मानवता शर्मशार हो रही है। बता दे कि कई शहरो में जरुरतमंदों के लिए धर्मशालायें होती है। जहां पर ऐसे बेघर बेसहारा लोगों की ठहरने की व्यवस्था होती है लेकिन धमतरी में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन यहां दो रैन बसेरा है जिनमें एक निर्धारित किराया देकर रात रुका जा सकता है। साथ ही यहां भोजन की भी व्यवस्था होती है। एक रैन बसेरा नया बस स्टैण्ड में है जहां महिला और पुरुषो के लिए रुकने की 35 बेड की व्यवस्था है। यहां एक रात का 30 रुपये देकर रुक सकते है। इसमें कंबल चादर की प्रदान किया जाता है। यहां भोजन हेतु केंटीन भी है। जहां 50 रुपये में खाना भी मिलता है। इसी प्रकार दूसरा रैन बसेरा जिला अस्पताल के पास है। जिसमें 24 बेड है यहां 50 रुपये का शुल्क ठहरने हेतु निर्धारित है। जबकि खाने की लिए भोजन 30 रुपये प्रति व्यक्ति लिया है। यह व्यवस्था तो अच्छी है लेकिन यहां एक शुल्क निर्धारित है। इसलिए यहां सिर्फ कामकाजी और अस्पताल में मरीजों के साथ आने वाले परिजन, मित्र ही ज्यादातर ठहरते है। गरीब और बेसहारा लोग यहां नहीं के बराबर ही पहुंचते है। ज्ञात हो कि शहर में कई ऐसे लोग है जिनके पास स्वयं का मकान नहीं है। वे दिन में कंही रोजी मजदूरी कर या फिर भीख मांगकर अपना गुजारा करते है और रात में किसी दुकान के बाहर सो जाते है। लेकिन जब ठंड बढ़ती है तो इनकी परेशानी बढ़ जाती है और इनकी सेहत भी बिगडऩे लगती है। इसलिए बेघरों को रात बिताने उचित व्यवस्था शासन प्रशासन को करनी चाहिए।
जरुरतमंदो विक्षिप्तो को है गर्म कपड़ों की आवश्यकता
शहर में कई विक्षिप्त यहां वहां भटकते रहते है और ठंड के मौसम में रात में ठंड से कांपते रहते है। ऐसे में हर साल कुछ जनप्रतिनिधियों और समाज सेवियों द्वारा ऐसे विक्षिप्तों और जरुरतमंद बेसहारों को गर्म कंबल आदि का वितरण किया जाता है। लेकिन इस बार अब तक इस ओर किसी के द्वारा पहल नहीं की गई है। अब देखना होगा कि इस ठंड से राहत दिलाने आगे कोई पहल हो पाती है या नहीं?