जिला भाजयुमों में सक्रियता व उत्साह की कमी से पार्टी को हो सकते है नुकसान
पूर्व भाजयुमों जिलाध्यक्ष महेन्द्र पंडित, चेतन हिन्दूजा, विजय मोटवानी के कार्यकाल में कार्यकर्ताओं की फौज रहती थी सभी मौको पर सक्रिय
जिले की राजनीति में भाजयुमों की रही है अलग पहचान, निष्क्रियता से प्रभाव हो रहा कम
धमतरी । जिले में भाजपा की राजनीति में भाजपा युवा मोर्चा की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी। विभिन्न आयोजनो, विरोध प्रदर्शन, कार्यक्रमो में भाजयुमों के कार्यकर्ता बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे। लेकिन विगत कुछ महीनों से भाजयुमों के उत्साह में कमी नजर आ रही है। उल्लेखनीय है कि जिले में भाजपा को स्थापित करने व मजबूत बनाने में भाजयुमों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पूर्व भाजयुमों जिलाध्यक्ष महेन्द्र पंडित, चेतन हिन्दूजा, विजय मोटवानी के कार्यकाल में जिले में भाजयुमों कार्यकर्ताओं की फौज हर कार्यक्रमों में नजर आती थी। भाजपा व जिले की राजनीति में भाजयुमों का अलग ही प्रभाव दिखता था। इस दौरान भाजपा पक्ष व विपक्ष में भी रही लेकिन सक्रियता व उत्साह कभी कम नहीं हुआ। बल्कि शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रो के युवा भाजपा से जुड़ते रहे इससे पार्टी मजबूत होती रही। वरिष्ठ नेताओं के आगमन के दौरान युवा कार्यकार्ताओं की फौज भव्य स्वागत व बाइक रैली आदि के माध्यम से करते रहे। लेकिन अब स्थिति ऐसे हो चुकी है कि भाजयुमों के चुनिंदा कार्यकर्ता ही सक्रिय नजर आते है। भाजयुमों द्वारा अब तक नये जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में प्रभाव नहीं बना पाई है। पहले हर चुनावों में भाजयुमों की महत्वपूर्ण व सक्रिय भूमिका रहती थी। जिससे पार्टी प्रत्याशी को लाभ मिलता था। लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं बन पा रही है। चर्चा तो यह भी है कि यदि वर्तमान भाजयुमों की टीम पहले की तरह ही कार्य करती तो गत विधानसभा चुनाव में पार्टी को और भी लाभ मिल सकता था। जिससे चुनाव परिणाम में अंतर आ सकता था। धमतरी विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी करीबी मुकाबले में पराजित हुई है। चर्चा है कि यदि भाजयुमों की टीम पूरा जोर लगाती तो इस अंतर को भी पाटा जा सकता था। जिससे प्रदेश में भाजपा को एक और विधानसभा मे ंजीत मिल सकती थी। गत विधानसभा चुनाव में तो भाजपा सिर्फ कुरुद में ही जीत दर्ज कर पाई। जबकि धमतरी व सिहावा विधानसभा में पार्टी को हार मिली। यहां भी जिला भाजयुमों की सक्रियता काफी कम होने की चर्चा होती रहती है। सूत्रों की माने तो पार्टी के भीतर युवा व वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा अक्सर होती रहती है कि जिम्मेदारी पदाधिकारियों को भाजयुमों की सक्रियता व संगठन की मजबूती के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए नहीं तो जिले में भाजपा को आने वाले समय में और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है।