कल मनाया जाएगा अक्षय तृतीया पर्व, गुड्डे, गुडिय़ों का विवाह कराने हो रही खरीददारी
मांगलिक कार्य के लिए शुभ मुहूर्त नहीं होने के बाद भी अक्ती पर हो रही शादियां
धमतरी। अक्षय तृतीया पर्व को अक्ती त्योहार के रूप में मनाया जाता है बैसाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है इस वर्ष अक्षय तृतीया शुक्रवार 10 मई को मनाया जायेगा यह पर्व सनातन धर्मियों का प्रमुख पर्व है अक्षय तृतीया परम पुण्यमयी है इस दिन छत्तीसगढ़ में पुतरी पुतरा की शादी करने की परंपरा है अक्षय पर्व के दिन मांगलिक कार्य के लिए शुभ माना जाता है लेकिन पहले बार इस वर्ष शुक्र एवं गुरु अस्त होने के कारण विवाह का मुहूर्त नहीं है। बाउजूद इसके कई शादियां अक्ति को ही शुभ मुहूर्त मानकर हो रहे है। अक्षय तृतीया पर गुड्डे, गुडिय़ों का विवाह कराने की परम्परा है। इसलिए शहर के कई स्थानों जैसे बालक चौक, गोलबाजार, घड़ी चौक, इतवारी बाजार, रामबाग सहित अन्य स्थानों पर गुड्डे-गुडिय़ों की बिक्री हो रही है। इस बार शहर में कई आकर्षक गुड्डे-गुडिय़ां बिक्री के लिए पहुंचे है। जिसे लोग हाथो हाथ खरीद रहे है। बाजार में अक्ती को लेकर खरीददार हो रही है।
ग्राम देवता को धान चढ़ाकर किसान करते है अच्छी फसल की कामना
इस पर्व को किसान मिट्टी पूजन दिवस के रुप मनातें है परिषद के अध्यक्ष पंडित अशोक शास्त्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में किसान अपने भरण पोषण और जीवन यापन के लिए अन्न को केवल वस्तु नहीं मनातें है बल्कि अन्नपूर्णा माता के रुप में उसकी पूजन करते इस दिन किसान ग्राम देवता ठाकुर देव को सिलयारी पत्ते का दोना बनाकर उसमें धान भरकर ग्राम देवता में चढ़ा कर पुजा अर्चना किया जाता है अच्छी फ़सल उत्पादन एवं अच्छी वर्षा होने की कामना प्रार्थना करतें हैं एंव उसी धान को ठाकुर देव के आर्शीवाद मानकर किसान फसल बोनी का कार्य प्रारंभ करते हैं इस दिन प्रात: स्नान करके जप तप होम एवं पितृ तर्पण आदि करने वाला अक्षय पुण्य फल का महाभागी होता है इस दिन भगवान विष्णु का छठवें अवतार भगवान परशुराम जी का अवतरण संध्या काल गोधोलि बेला में हुआ था। अक्षय तृतीया अक्ति पर्व पर मिट्टी का घड़ा ऋतुफल सहित दान करने का विशेष महत्व है इस दिन दान देने से हर पुण्य का तीन गुना फल की प्राप्ति होती है अक्षय तृतीया पर दान पुण्य करनें से कभी क्षय नहीं होता है पितृ भी प्रसन्न होते हैं।
ये है मान्याताएं
अक्षय तृतीया पर्व की कई मान्याताऐ है। इस दिन सतयुग और त्रेतायुग आरंभ हुआ अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ धाम के पट खुलते हैं एवं यात्रा प्रारंभ होता है नर नारायण का अवतरण दिवस भगवान परशुराम जी का अवतरण हुआ इसी दिन मां अन्नपूर्णा का जन्मोत्सव मनाया जाता है इस दिन माता गंगा का अवतरण श्री कृष्ण ने द्रौपदी का चीर-हरण से बचाया एवं श्री कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र इसी दिन प्रदान किया इस पात्र में अन्न कभी खत्म नहीं होता है इस दिन कुबेर को खजाना मिला द्वारकाधीश और कृष्ण सुदामा का मिलन हुआ सुदामा जी की झोपड़ी महल में बदला ब्रहा पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण एवं वृंदावन के बाक़े बिहारी मंदिर में श्री विग्रह का चरण दर्शन हुआ इस महत्वके कारण अक्षय तृतीया का पर्व पुर्ण धार्मिक आस्था का पर्व है इस कारण सनातन धर्मियों का अक्षय तृतीया बहुत बड़ी एवं महत्वपूर्ण पर्व है परिषद ने अपील किया है कि उक्त दिये गये तिथि पर यह पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा उपरोक्त जानकारी परिषद के मीडिया प्रभारी पंडित राजकुमार तिवारी ने दी।