धमतरी में उद्योग व व्यापार को नहीं मिल पा रहा बढ़ावा
जिले में खल रही थोक बाजार की कमी, अधिकांश सामानों की खरीददी हेतु रहना पड़ता है रायपुर पर निर्भर
उद्योग, रोजगार के नाम पर है सिर्फ राईस मिले, कल -कारखाने और प्रोडक्शन व प्रोसेसिंग युनिट की है कमी
धमतरी। धमतरी को जिला बने 26 साल होने को है। इतने वर्षो में भी धमतरी जिला उम्मीद के अनुरुप विकास नहीं कर पाया ह। विशेषकर शिक्षा स्वास्थ्य और उद्योग रोजगार के क्षेत्रो में धमतरी काफी पिछड़ा माना जाता है।
बता दे कि धमतरी जिले का आधे से ज्यादा भूभाग वनों से अच्छादित है। यहां धान की बंफर फसल होती है इसके अतिरिक्त वनोपज का बड़ा केन्द्र है। यहां गंगरेल माडमसिल्ली सोढुंर जैसे बांध है। पानी की पर्याप्त व्यवस्था, खाली भूमि की कमी नहीं है बाउजूद इसके धमतरी में इतने वर्षो के बाद भी उद्योग कारखाने नहंी लग पा रहे है। यहां उद्योग और रोजगार के नाम पर दो सौ से अधिक राईस मिल है। अन्य उद्योग कारखाने जैसे स्टील, पावर, मैनिफैक्चरिंग प्रोसेसिंग आदि युनिट नहीं लग पाया है। जबकि प्रदेश के कई जिलों में तेजी से उद्योग कारखाने लगे जिससे रोजगार के अवसर बढ़े लोगों का जीवन समद्ध हुआ। यहां ज्यादातर युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर तलाशने हेतु जिले से बाहर जाना पड़ता है। ज्ञात हो कि धमतरी के ज्यादातर व्यापारी रायपुर या अन्य बड़े शहरों से खरीददारी करते है। लेकिन छोटे व्यापारियों को भी ज्यादातर रायपुर पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए यहां थोक मार्केट की कमी खल रही है। चेंबर आफ कामर्स द्वारा थोक बाजार के लिए भूमि की मांग भी की गई है।
टिम्बर, वनोपज व्यापार भी नहीं कर पाया ग्रोथ
धमतरी जिले को पहले टिम्बर और वनोपज के व्यापार के लिये जाना जाता था। यहां पर्याप्त जंगल होने के कारण लकड़ी और अनेक प्रकार के कीमती वनोपज मिलते थे। लेकिन उक्त व्यापार भी ग्रोथ नहीं कर पाया। टिम्बर व्यवसाय तो और कमजोर हुआ है। जबकि वनोपज के लिए न ही एक भी प्रोसेसिंग युनिट लगा न पर्याप्त मार्केट है। इसलिए औने पौने दाम भी लोग बिचौलियों को वनोपज बेचने मजबूर है।
न रोजगार न है तरक्की
कल कारखानों उद्योगो में अनुभव पद और काम के हिसाब से वेतन मिलता है। जो कि हजारों से लेकर लाखों तक भी होता है। इन युनिट में कर्मचारियों को सरकारी नौकरी की तरह ही सुविधायें मिलती है। जिससे भविष्य सुरक्षित होता है और तरक्की हो पाती है। लेकिन जिले में अधिकांश युवा दुकानों राईस मिलों में काम करने मजबूर है। सालों तक एक ही जगह काम करने के बाद भी उनके वेतन में मामूली बढ़ोत्तरी भी नहीं हो पाती। इसलिए युवा भविष्य बनाने घर-परिवार छोड़कर अन्य शहर चले जाना ही बेहतर समझते है।