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हर साल स्कूल से निकल रहे हजारों बच्चे, जिले में नहीं इंग्लिश मीडियम में उच्च शिक्षा की व्यवस्था

अन्य बड़े शहरो में शिक्षा ग्रहण करने जाना पड़ता है छात्रो को

पूर्व राज्य सरकार से की गई थी जिले में शासकीय इंग्लिश मीडियम कॉलेज खोलने की मांग
धमतरी। इस साल 12वीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड सीबीएसई व आईएससी बोर्ड में भी बेहतर रहा है। हजारों छात्र-छात्राये इस साल इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई करते हुए 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण किये है। अब उन्हें उच्च शिक्षा हेतु कॉलेज में एडमिशन लेना है। लेकिन विडम्बना है कि जिले में शासन द्वारा इग्लिश मीडियम से शिक्षा प्रदान करने अब तक एक भी कॉलेज नहीं खोला गया है। जबकि हिन्दी मीडियम के कई कॉलेज है। ऐसे में कई इंग्लिश मीडियम के छात्र-छात्राओं को मजबूरी वश स्कूली शिक्षा इंग्लिश मीडियम से पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा हिन्दी माध्यम से करनी पड़ती है। इससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिस प्रकार हिन्दी मीडियम के छात्रों को इंग्लिश मीडियम में शिक्षा ग्रहण करने में दिक्कते आती है। उसी प्रकार इंग्लिश मीडियम वालों को भी हिन्दी में अध्ययन में परेशानी होती है। लेकिन छात्रों को यह परेशानी उठानी पड़ती है। बता दे कि पूर्व में भूपेश बघेल सरकार द्वारा प्रदेश भर में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने के बाद इंग्लिश मीडियम के कॉलेज भी प्रत्येक संभाग में खोलने की घोषणा की थी। धमतरीवासियों द्वारा भी भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान इस मांग को रखा था जिस पर अगले सत्र में मांग पूरा करने का आश्वासन दिया था। लेकिन सत्ता ही पलट गई। जब से प्रदेश में आत्मानंद स्कूल खोले गये है। निम्न व मध्यम वर्गीय बच्चे नि:शुल्क इंग्लिश मीडियम में अध्ययन कर रहे है। लेकिन इसके बाद भी उच्च शिक्षा की उचित व्यवस्था अब तक नहीं की गई है। जिन बच्चों के परिवार आर्थिक रुप से सम्पन्न है वे बड़े शहरो में जाकर मेडिकल, इंजीनियरिंग, व्यवसायिक, कृषि आदि की पढ़ाई कर लेते है। लेकिन जो बच्चें आर्थिक रुप से सक्षम नहीं है। उन्हें जिले में ही पढऩा पड़ता है। इसलिए जिले में शासकीय इंग्लिश मीडियम कॉलेज की कमी खल रही है। छात्रों ने कहा कि यदि शासन द्वारा नया कॉलेज न खोलकर पहले से संचालित कॉलेज में स्टाफ बढ़ाकर इंग्लिश मीडियम से शिक्षा का विकल्प भी प्रदान करे तो फिलहाल छात्रों को राहत मिल सकती है। लेकिन इस समस्या की ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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