जिस घर में कन्या होती है उस घर में मां लक्ष्मी सदैव निवास करती हैं
स्वामी टेऊॅंराम महाराज के 138 वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में जारी है चालीहा महोत्सव
श्री प्रेम प्रकाश मंडलाचार्य सद्गुरु स्वामी टेऊॅंराम जी महाराज के 138 वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में जारी चालीहा महोत्सव के तहत आज के दिन का चालीसा पाठ का कार्यक्रम का आयोजन एक गुरु भक्त के द्वारा अपने नाम को गुप्त रख कर अपने परिवार की तरफ़ कराया जिसमें भजन कीर्तन कर चालीसा पाठ किया गया.इस अवसर पर अमरपुर स्थान जयपुर के संत मोनूराम जी ने आचार्य स्वामी टेऊॅंराम की महाराज की महिमा का गुणगान करते हुए सन्देश दिया है कि हर घर में बेटी होना बहुत जरूरी है. जिस घर में कन्या होती है उस घर में मां लक्ष्मी देवी सदैव निवास करती हैं.अनेक समाजों में कुप्रथा कन्या भ्रूण हत्याएँ पढ़नें-सुनने को मिलती हैं. जो देश के लिए अभिशप्त प्रथा ही हैं. इसका बंद होना अनिवार्य है .संत-महात्मा भी इस पुण्यकार्य के अभियान में अग्रसर है.एक समय धर्म रक्षक सतगुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज श्री अमरापुर दरबार टण्डाआदम में भक्ति-ज्ञान-कर्म के साथ-साथ पुत्री (कन्या) के विषय में सत्संग- प्रवचन कर रहे थे. जिस घर में कन्या होती है.वहाँ सुख-शान्ति बनी रहती है.वहाँ लक्ष्मी जी का वास होता है. घर में पुत्र भले ही हो, लेकिन पुत्री (कन्या) का होना भी बहुत जरूरी है! वह घर की शोभा होती है ! शास्त्रो में बताया गया है कि जिस घर में नारी का सम्मान होता है. वह कुल दिव्य गुणों से सम्पन्न होता है. वहाँ देवता निवास करते हैं! सदैव घर परिवार मे खुशहाली व आनंद रहता है.उसी सत्संग में स्वामी जी के भक्त श्री आवतराम का पूरा परिवार भी आया हुआ था ! वह सत्संग के पश्चात् स्वामी जी को दण्डवत् प्रणाम कर हाथ जोडकर, प्रार्थना करके कहने लगा- हे प्रभु हे दयानिधान मेरे घर-परिवार में आपके आशीर्वाद से दो पुत्र तो हैं लेकिन एक भी पुत्री (कन्या) नहीं है अब आप ही कृपा करे जिससे मेरे घर में भी पुत्री (कन्या)का आगमन हो हमारा परिवार भी कन्या से खुशहाल हो तब स्वामी जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा- वत्स वहाँ हमारी “माता श्री” (माता कृष्णा देवी) जी बैठी है ! उनको प्रार्थना करें एवं उनका भी आशीर्वाद ले.परमात्मा-ईश्वर सब भला करेंगे . भगवान के द्वार से कोई खाली नही जाता .तुम्हारी प्रार्थना भी अवश्य ही सुनेंगे
स्वामी जी का यह सारा समाचार आवतराम ने माता कृष्णा देवी को सुनाया. तब माता ने उन्हें कन्या रत्न प्राप्ति का आशीर्वाद दिया और कहा सबकी सेवा करते रहना प्रभु कृपा करेंगे. समय पाकर उनके घर परिवार में पुत्री-रत्न की प्राप्ति हुई.तब आवतराम बहुत खुश हुआ.उस कन्या का नाम मोहिनी रखा गया.