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कई बसों में नहीं है फस्र्ट एड बाक्स, अग्निशमक यंत्र व एमरजेंसी डोर

यात्रियों की सुरक्षा से हो रहा खिलवाड़, महिला हेल्पलाईन नम्बर सहित आपातकालीन नम्बरों की नहीं होता उल्लेख

धमतरी। धमतरी से होकर रोजाना सैकड़ों बसे गुजरती है, लेकिन ज्यादातर बसो में यात्रियों की सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाता है। विडम्बना है कि इस ओर संबधित अधिकारियों द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जाता। बता दे कि धमतरी से रोजाना लगभग 300 बसों का आवागमन होता है। इनमें हजारों यात्री सफर करते है। बसों में पिछले कुछ सालों में कई हादसे व गैर कानूनी कार्य हो चुके है। इसलिए सफर के दौरान बसों में यात्रियों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है। लेकिन इस गंभीर विषय को हल्के में लिया जा रहा है। जिससे किसी प्रकार के हादसे या दुर्घटनाओं के मौके पर यात्रियों की सुरक्षा खतरे में प्रतीत हो रही है। कई वाहनों में अचानक आग लगने की घटनी बढ़ी है। इसलिए बसों में अग्निशमक यंत्र अनिवार्य किया गया है। लेकिन ज्यादातर बसों में इसका पालन नहीं होता। जिन बसों में यह होता है उसे नियमित अंतराल में चेक नहीं किया जाता है। इससे यह स्पष्ट नहीं हो पाता कि इमरजेंसी में क्या यह यंत्र काम कर पायेगा।


इसी प्रकार बसो में फस्र्ट एड बाक्स अनिवार्य रुप से होना चाहिए ताकि किसी प्रकार की आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा मुहैय्या कराया जा सकें। लेकिन कई बसो में फस्र्ट एड बाक्स ही नहीं रहता। बसों में आपातकालीन स्थिति के लिए एमरजेंसी द्वार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य माना गया है। लेकिन कई बसो में यह सुविधा ही नहीं है। ऐसे में किसी आपात स्थिति में बचने व निकलने के लिए बसो में भगदड़ भी हो सकती है। बसो में महिला यात्रियों के साथ किसी प्रकार की ज्यादती न हो और ऐसी स्थिति में तत्काल पुलिसिया मद्द प्राप्त कर सके इसलिए सभी यात्री बसों में महिला सुरक्षा संबंधित सभी नंबरो का उल्लेख किया जाना चाहिए कई बसो में इसका भी सही तरीके से पालन नहीं किया जाता है।


बता दे कि धमतरी से रायपुर, दुर्ग भिलाई, बस्तर, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, नगरी सिहावा, गरियाबंद, बालोद, राजनांदगांव रुटो पर बसो का संचालन होता है। इन बसो में ज्यादातर चालक, परिचालकों द्वारा यूनिफार्म का पालन ही नहीं किया जाता है। वहीं अन्य कई नियमों का खुला उल्लंघन यात्री बसो में होता है।
किराया सूची नहीं है चस्पा
बता दे कि बसो में किराया सूची और स्टापेज रुट की जानकारी उल्लेखित करना होता है। लेकिन ज्यादातर बसो में इसका पालन नहीं होता। इसलिए कंडक्टरों द्वारा कई बार मनमाने ढंग से किराया वसूला जाता है। बसों का नियमित समय अंतराल में फिटनेश टेस्ट कराना, डायवरों का स्वास्थ्य परीक्षण सहित कई अन्य आवश्यक नियमों के पालन पर ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसे में यात्रियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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