श्री गौतम स्वामी जी का श्री पाश्र्वनाथ जिनालय में हुआ महापूजन
गुरु गौतमस्वामी जी ने जिन्हें भी दीक्षा दी वो सभी केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष पाए - विशुद्ध सागर श्री जी म.सा.
धमतरी। आज अनंत लब्धिधारी श्री गौतम स्वामी जी का महापूजन प्रात: 08.45 से श्री पाश्र्वनाथ जिनालय में रखा गया था। उक्त महापूजन को संपन्न कराने विधिकरक अमित मेहता, आकोदिया से पधारे थे। महापूजन के लाभार्थी परिवार नेमीचंद अमरचंद चोपड़ा परिवार थे। परम पूज्य विशुद्ध सागर श्री जी म.सा. ने फरमाया की शासन नायक भगवान महावीर के प्रथम गणधर श्री गौतम स्वामी जी हुए। आप अनंत लब्धिधारी थे। गुरु गौतमस्वामी जी ने जिन्हें भी दीक्षा दी वो सभी केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष पधार गए। यह आपकी विशेषता थी। आपने भगवान महावीर स्वामी से केवल तीन प्रश्न पूछे और त्रिपदी की रचना कर दी।
इतने ज्ञानवान होते हुए भी आप अत्यंत विनयवान थे। शासन नायक परमात्मा भगवान महावीर के अंत समय में आपने श्रीसंघ के हितार्थ उनसे 36000 प्रश्न पूछे जो आज भी भगवती सूत्र के रूप में उपलब्ध है। भगवान महावीर के निर्वाण कल्याणक के अगले दिन अर्थात कार्तिक बदी अमावस्या के दिन गुरु गौतम स्वामी जी को केवलज्ञान प्राप्त हो गया। एक बार गुरु गौतम स्वामी अष्टापद तीर्थ की यात्रा पर गए जहां पर अष्टापद तीर्थ के प्रथम सोपान पर 501 तापस दूसरे सोपान पर 501 तापस और तीसरे सोपान पर 501 तापस थे। जो अष्टापद तीर्थ की चढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। तब आपने अपनी लब्धी से उन तापसो को अष्टापद तीर्थ की यात्रा कराई। साथ ही आपने भी सूर्य की ओर देखते हुए अष्टापद तीर्थ की यात्रा संपन्न की वहां जाकर आपके द्वारा परमात्मा की भाव भक्ति की गई।
जब आप वहां से नीचे उतरे तो आपने सभी 1503 तापसों से पूछा आज किसका पारणा करना है तो सभी ने एकसाथ कहा आज परमात्मा के दर्शन कर मन अति प्रसन्न हो गया है इसलिए परमान्न अर्थात खीर से पारणा करना चाहते है। तब गुरु गौतमस्वामी जी ने एक पात्र में खीर लाकर 1503 तापसों को पारणा करा दिया। ऐसे लब्धिधारी गुरु गौतमस्वामी थे। परमात्मा केवलज्ञान के बाद जो देशना देते है उसे सुनकर द्वादशांगी की रचना करने वाले परम विद्वान परमात्मा के गणधर कहलाते है। गुरु गौतमस्वामी परमात्मा महावीर के प्रथम गणधर कहे है।