पशु चिकित्सालय में अव्यवस्था का आलम, बाहर से खरीदनी पड़ रही दवाईयां, चीरा लगाने नहीं है ब्लेड भी
गौपालक पिंटु डागा पहुंचे बछड़े का उपचार कराने तो बाहर से खरीदनी पड़ी 3500 की 11 दवाईयां
चिकित्सालय में डाक्टर व सपोटिंग स्टाफ की भी कमी, स्वयं उठाकर ले जाना पड़ता है पशुओं को
भाजपा नेता महेन्द्र पंडित, महेन्द्र खण्डेलवाल अव्यवस्था की सूचना पर पहुंचे पशु चिकित्सालय
धमतरी। गौशाला मैदान सामुदायिक भवन के पास सालों से जिला पशु चिकित्सालय संचालित है। जहां छोटे से लेकर बड़े पशुओं का इलाज होता है, लेकिन उक्त चिकित्सालय में अव्यवस्था के आलम से पशु पालकों की परेशानी बढ़ गई है।
आज सुबह लगभग 10 बजे जब सदर बाजार निवासी गौपालक डोंगरमल डागा (पिंटु) अपने एक वर्षीय बछड़े की पथरी का उपचार कराने पशु चिकित्सालय पहुंचे जहां पदस्थ वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डाक्टर मयंक पटेल ने बताया कि बछड़े को पथरी के कारण पेशीब नली में रुकावट आ रही है जिससे मूत्र त्याग करने में काफी परेशानी हो रही है। इसलिए बछड़े को तत्काल आपरेट करना पड़ेगा। इसके पश्चात आपरेट के लिए आवश्यक सामाग्री व दवाईयों की लिस्ट पिंटु डागा को सौंपी गई और बाहर से खरीदकर लाने कहा गया। जिसमें कुल 11 दवाईयां थी, जिसकी कीमती 3593 रुपये रही। इस पर पिंटु डागा ने सवाल किया कि शासकीय पशु चिकित्सालय में सभी दवाईयां बाहर से खरीदने पड़ती है यहां तक की आपरेट के लिए चीरा लगाने का ब्लेड भी चिकित्सालय में नहीं है। तो फिर पशु चिकित्सालय किस काम का। यहां तक की अस्पताल में सपोटिंग स्टाफ भी नहीं है। एक डाक्टर एसके तुर्रे वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी भी है लेकिन शासकीय अन्य कार्यो जैसे मीटिंग, जानकारी उपलब्ध कराना, दौरे आदि में भी व्यस्त हो जाते है। इसलिए सम्पूर्ण चिकित्सालय की जिम्मेदारी श्री पटेल पर ही है। अस्पताल में एक महिला कर्मी है जो स्वच्छता आदि कार्यो के लिए है। वहीं एक स्टाफ है जो कि दुर्घटनाग्रस्त है। यह भी अव्यवस्था का बड़ा करण है। ऐसे में मवेशी को चिकित्सालय में लाने पर मालिकों को ही उठाकर मवेशी को लाना पड़ता है। यहां स्टे्रचर या अन्य किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। बता दे कि अस्पताल मार्च से अक्टूबर तक सुबह 7 से 11 व शाम 5 से 6 बजे तक व नवम्बर से फरवरी तक सुबह 8 से 12 बजे व शाम 4 से 5 बजे तक ही खुला रहता है।
अव्यवस्था की सूचना पर भाजपा नेता महेन्द्र पंडित व महेन्द्र खण्डेलवाल पशु चिकित्सालय पहुंचे। जहां उन्होंने डाक्टर मयंक पटेल से अस्पताल में दवाईयों की कमी व बदहाल व्यवस्था की जानकारी ली। और पूछा कि अस्पताल की व्यवस्था में सुधार करने क्या प्रयास किया जा सकते है? हालांकि दोनो डाक्टर के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और इस अव्यवस्था के मुद्दे पर आगे उच्च स्तर पर प्रयास करने की बात कही।
ऐसी स्थिति रही तो गौपालन हो जाएगा मुश्किल – पिंटु डागा
अव्यवस्था से क्षुब्ध गौपालक पिंटु डागा ने कहा कि जिला मुख्यालय होने के बाद भी पशु चिकित्सालय में स्थिति भगवान भरोसे है ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में अन्य स्थानों में पशु उपचार की स्थिति क्या होगी। चिकित्सालय में न दवाईयां उपलब्धा है न ही सर्जिकल सामान, और तो और यहां पर्याप्त स्टाफ तक नहीं है। ऐसे में यदि गायो की तबीयत बिगड़ जाए तो सही उपचार न मिल पाने से उनकी मौत भी हो सकती है। ऐसी स्थिति के चलते लोग गौपालन से दूर हो सकते है।
आपात स्थिति में हो जाएगी गायो की मौत – महेन्द्र खण्डेलवाल
भाजपा नेता महेन्द्र खण्डेलवाल ने कहा कि जिस प्रकार पशु चिकित्सालय में दवाईयां व आवश्यक सर्जिकल सामान नहीं है। उससे स्पष्ट हो रहा है कि यदि देर रात आपात स्थिति में गायो को उपचार की आवश्यकता पड़ी तो दवाईयों व अन्य सामानों की कमी के चलते गायो की मौत हो जाएगी। वैसे ही गौपालन काफी कम हो गया है और ऐसी स्थिति रही तो लोग गौपालन से पीछे हटेगें। दुर्भाग्य की बात है कि जिला मुख्यालय के पशु चिकित्सालय में आवश्यक दवाईयों की सर्वथा कमी है। वर्तमान में पशु चिकित्सालय सिर्फ नाम का ही रह गया है बाहर की दवाईयों के भरोसे पशु चिकित्सालय संचालित है। व्यवस्था में सुधार होना चाहिए।
कोताही नहीं होगी बर्दाश्त, व्यवस्था में सुधार हेतु किया जाएगा हर संभव प्रयास – महेन्द्र पंडित
भाजपा नेता महेन्द्र पंडित ने कहा कि पशु चिकित्सालय में अव्यवस्था व दवाईयों की कमी की जानकारी पर वे पहुंचे इस संबंध में वरिष्ठ चिकित्सकों व अधिकारियों से चर्चा कर व्यवस्था में सुधार किया जायेगा। इसके लिए आवश्यकता पड़ी तो विभागीय मंत्री व मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर परिस्थिति से अवगत कराया जायेगा। कोई भी अधिकारी जो शासकीय योजनाओं को आम जनता तक लाभ पहुंचाने में कोताही बरतेगा वह बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार द्वारा गौ पालन व उपचार हेतु विशेष प्रयास किये जा रहे है। इस प्रयास में रोड़ा आने नहीं दिया जाएगा।
जो दवाईयां चिकित्सालय में उपलब्ध नही रहती उसे बाहर से मंगवाना पड़ता है – डॉ मयंक पटेल
इस संबंध में पशु चिकित्सालय के इंचार्ज वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मयंक पटेल ने बताया कि अस्पताल में दवाईयां उपलब्ध रहती है और बीमारी व उपचार के अनुसार जो दवाईयां नहीं रहती उन्हें बाहर से मंगवाया जाता है। आज पहुंचे बछड़े के उपचार हेतु विशेष दवाईयां की आवश्यकता थी जो कि चिकित्सालय में उपलब्ध नहीं थी इसलिए बाहर से दवाईयां मंगवानी पड़ी। शासन से उपलब्ध दवाईयों से पशुओं का ईलाज किया जाता है। समय-समय पर दवाईयों की मांग भी उच्च अधिकारियों से सम्पर्क कर किया जाता है। अस्पताल में एक डाक्टर व सपोटिंग स्टाफ की कमी है बाउजूद इसके प्रयास रहता है कि बेहतर से बेहतर उपचार व सुविधा प्रदान किया जा सकें।