सिटी बस: कई बार टेंडर बुलाने के बाद भी नहीं मिला आपरेटर
धमतरी में विभिन्न रुटो पर संचालन के लिये रायपुर में खड़ी है 15 सिटी बसे
निगम के प्रयासों के बाद भी लोगों को नहीं मिल पा रही है सस्ती सिटी बस योजना का लाभ
धमतरी । धमतरी जिले में सिटी बस का पुन: संचालन के कई प्रयास किये गये लेकिन इन प्रयासों में सफलता नहीं मिल रही है। नतीजन नई सिटी बसे संचालन के इंतजार में रायपुर डिपो में खड़ी है। बता दे कि कोरोना काल के दौरान अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तरह ही सिटी बसों का संचालन भी थम गया कई सालों खड़े होने रहने के कारण सिटी बस कबाड़ में तब्दील हो गया और जब परिस्थिति सामान्य हुई तो बस संचालन के लायक नहीं रह गया। इसके बाद भी सिटी बसों के संचालन के संंबंध में मांग उठी, प्रयास भी हुए जिसके तहत स्पष्ट हुआ कि धमतरी में खड़ी चार सिटी बसे सड़क पर चलने लायक नहीं है। इसलिए नई बसों से संचालन शुरु किया जायेगा। इसलिए अर्बन पब्लिक सोसायटी द्वारा नई सिटी बसों की व्यवस्था की गई। फिर बसों के संचालन के लिये टेंडर निकाला गया। लेकिन आपरेटर ही नहीं मिला। एक के बाद एक कर चार टेंडर निकाला गया इसके बाद भी आपरेटर नहीं मिल पाया। इसलिए आज भी धमतरी में सिटी बसो का संचालन शुरु नहीं हो पाया है। बता दे कि रायपुर में अर्बन पब्लिक सोसायटी द्वारा धमतरी जिले के लिए 15 सिटी बसे रखी गई है।
सिटी बस आपरेटिंग के लिए शर्त है सामान्य, लेकिन नुकसान और झंझट का है डर
बता दे कि पहले 4 सालों तक विभिन्न रुटो पर सिटी बसों का संचालन सफलता पूर्वक हुआ इस दौरान भी आटो, बस, जीप संचालकों के साथ रुट व सवारी को लेकर कई बार विवाद की स्थिति बनती रही है। और सिटी बस में किराया कम होने से इनकम कम होती है। इन्ही परेशानियों को ध्यान में रखते हुए आपरेटर सिटी बस संचालन हेतु रुचि नहीं दिखा रहे है। जबकि संचालन हेतु नियम सामान्य है। जिसमें दो लाख का डिपाजिट और निर्धारित रुटो पर बसों का संचालन और कुछ अन्य शर्ते थे। अब अंतिम टेंडर को महीने बीत गये देखना होगा कि भविष्य में कब तक सिटी बसे सड़को पर दौड़ पायेगी।
इन रुटो पर चलती थी सिटी बसे
कोराना काल के पहले धमतरी में सिटी बस सिटी में कम और ग्रामीण और आउटर क्षेत्रो में ज्यादा चलती थी। सिटी बस धमतरी नया बस स्टैण्ड में रुद्री, गंगरेल, आमदी, कुरुद, कुकरेल, मेघा, भखारा, गुंडरदेही आदि रुटो पर चलती थी। सिटी बस में किराया निजी बसों की तुलना में कम होने के कारण दिहाड़ी मजदूरों, कामकाजी लोगों और छात्र-छात्राओं के लिए काफी लाभदायक था। सिटी बस के बंद होने के बाद कई बार इसके पुन: संचालन की मांग हो चुकी है। लेकिन प्रयासों में सफलता नहीं मिल पा रही है।