2 सौ से अधिक चिटफंड कंपनियों ने 1.59 लाख निवेशकों से ठगे 423 करोड़
सालो बीतने के बाद भी कुछ निवेशकों को ही मिली राशि
सालों से जमा राशि मिलने की उम्मीद में है जिले के निवेशक
धमतरी। जिले में लाखों निवेशकों के खून पसीने की कमाई सालों से चिटफंड कंपनियों में फंसी हुई है। जिसके मिलने के इंतजार में निवेशक है लेकिन सालो बीतने के बाद मात्र कुछ लोगों को ही कुछ राशि मिल पाई शेष अधिकांश निवेशकों का इंतजार खत्म नहीं हो पा रहा है। ज्ञात हो कि जिले सहित प्रदेश भर में चिटफंड कंपनियों ने भोली भाली जनता को रकम जमा कराने कई लुभावने स्कीम बताये साथ ही एजेंट के तौर पर स्थानीय लोगों को नियुक्त किया। जिससे स्कीम पर लोगो का भरोसा और बढ़ गया। यह प्रक्रिया सालों तक जारी रहा। शुरुवात के कुछ सालों में जिनका मैच्युरिटी टाईम पूरा हुआ उन्हें स्कीम के तहत भी दुगुनी-तिगुनी राशि लौटाई गई इससे लोगों का भरोसा और बढ़ गया और लोग बढ़ चढ़कर स्कीम में पैसा लगाने लगे लेकिन एक समय ऐसा आया जब लोगों की मेहनत की कमाई को चिटफंड कंपनी बटोर कर नौ दो ग्यारह हो गये। रातोरात कंपनियों के दफ्तर गायब हो गये अधिकारी कर्मचारी नजर नहीं आये इसके बाद ठगी का खुलासा हुआ तब तक काफी देर हो चुकी थी। कंपनिया पैसे लेकर फरार हो गई।
बता दे कि जिले के लगभग 1.59 लाख निवेशकों से 200 से अधिक चिटफंड कंपनियों ने 423 करोड़ की ठगी की। इसके बाद लोग एजेंटो के पीछे लगे रहे लेकिन उनसे हाथ कुछ नहीं आया ऐसे में शासन -प्रशासन से मांग की गई। पूर्व में विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस द्वारा जारी घोषणा पत्र में चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम को प्राथमिकता के साथ वापस दिलाने का वादा किया गया था। लेकिन भूपेश सरकार का कार्यकाल बीत गया इसके बाद भी रकम नहीं मिली। इसके बाद साय सरकार को सत्ता में आए एक साल से ज्यादा हो गया है लेकिन अब तक निवेशकों के रकम वापसी की दिशा में गंभीर प्रयास नहीं हुए।
कोर्ट में लंबित मामलों व अन्य प्रक्रियाओं से लटका मामला
ठगी के बाद कई मामले चिटफंड कंपनियों और उनके अधिकारियों पर अपराध दर्ज हुआ। जिसके चलते कोर्ट द्वारा कंपनियों के संपत्ति को फ्रीज किया गया। मामला विचारधीन होने के कारण संपत्ति बेचकर भी रकम नहीं लौटाई जा सकी। साथ ही सेबी सहित अन्य संस्थाओं द्वारा कंपनी के एकाउंट से वित्तीय लेनदेन पर भी रोक लगाई है। ऐसे कई कानूनी प्रक्रियाओं से भी रकम वापसी में देरी हुई। हालांकि कुछ लोकल कंपनियों जिन्हें ठगी स्थानीय व प्रदेश स्तर ज्यादा रहा। उनके संपत्ति को कोर्ट के आदेश पर नीलाम कर कुछ राशि जुटाई गई जो कि ऊंच के मुंह में जीरे के समान साबित हुई। अभी भी जिले के निवेशकों के 4 अरब से ज्यादा की राशि कंपनियों में फंसी हुई है।