आवारा मवेशियों से परेशान है सब्जी विक्रेता
ईतवारी बाजार, गोलबाजार सहित अन्य स्थानों पर पलक झपकते ही कर रहे है सब्जी फलों को चट
धमतरी। आवारा मवेशियों की समस्या बढ़ते ही जा रही है। लेकिन उक्त समस्या का कोई स्थायी समाधान नही निकल पा रहा है। इससे सबसे ज्यादा सब्जी और फल फुटकर विक्रेता परेशान है। बता दे कि शहर के रामबाग, ईतवारी बाजार, सिहावा चौक गोल बाजार व रत्नाबांधा हाउसिंग बोर्ड के पास सब्जी बाजार व ठेले लगते है। जहां रोजाना हजारों लोगों द्वारा सब्जी फल खरीदा जाता है। यहां आवारा मवेशियों का जमघट लगा रहता है। आवारा मवेशी खराब फेकें हुए सब्जियों फलों को तो खाते ही है पसरा लगे हुए सब्जियों पर भी मुह मारते है। पलक झपकते ही मवेशी सब्जियों फलों को खा जाते है। इससे कई बार विक्रेताओं को बेवजह नुकसान उठाना पड़ता है। कई बार आवारा मवेशी बाजार के बीच प्रवेश कर जाते है। जहां सामान को भी नुकसान और गंदगी फैलाते है। कभी कभी दो मवेशी आपस में भिड़ जाते है जिसके चलते वाहनों व समानों को काफी नुकसान पहुंचता है। पूर्व में तो मवेशियों द्वारा कई बार बाजार लोगों को भी घायल किया जा चुका है। कई बार आवारा मवेशियों पर अंकुश लगाने की मांग की जा चुकी है। लेकिन इसका कोई असर नही हुआ है। लोगों में चर्चा है कि सरकार ने रोका छेका अभियान की शुरुवात की है। जिसके तहत आवारा मवेशियों को पकड़ कर गोठान पहुंचाया जाता है लेकिन इस योजना के तहत कभी कभार ही दुधारु गायों को ही ज्यादातर पकड़ा जाता है। ताकि इन्हें छुड़ाने इनके मालिक आते है। जबकि बछड़े और बैलो को कोई छुड़ाता ही नहीं है। इसलिए बैल यहां वहां विचरण करते रहते है।
पशु पालक कर रहे सिर्फ दोहन
शहर के कई पशु पालक ऐसे है जो कि मवेशियों का सिर्फ दोहन कर रहे है। गायों से दुध निकालने के बाद खुला छोड़ दिया जाता है। दिन भर यहां चरते फिरते रहते है और जब गायों द्वारा बछड़े (बैल) को जन्म दिया जाता है तो कुछ समय पश्चात उन्हें लावारिश छोड़ दिया जाता है। अपना पल्ला झाड़ कर पशुपालक दूसरों की परेशानी बढ़ाने का काम करते है। पहले कृषि कार्यो व मालवाहकों बैलगाडिय़ों में बैलों का उपयोग होता था जो कि अब लगभग बंद हो गया है इसलिए बैलों की उपयोगिता और कम रह गयी है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि कुछ लोगों द्वारा सिर्फ मवेशियों का दोहन किया जा रहा है।