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सिंचाई हेतु बांधो में पर्याप्त पानी नहीं, कृषि विभाग ने रबी फसल के लिए धान का रकबा किया शून्य

दलहन, तिलहन, चना, मंूगफली आदि फसल लेने किसानों को किया जा रहा प्रोत्साहित

धान की फसल में लगता है ज्यादा पानी बांधो की स्थिति खराब, हाफने लगते है मोटर पंप भी
धमतरी । धमतरी जिले में इस बार रबी सीजन में धान की फसल काफी कम नजर आयेगी। क्योंकि धान फसल के लिए सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में इस बार रबी सीजन में फसल चक्र परिवर्तन नजर आयेगा। ज्ञात हो कि इस बार मानसून उम्मीद के अनुरुप नहीं रहा। वर्षा कम होने के कारण बांधो में पर्याप्त जल भराव नहीं हो पाया और वर्तमान में तो स्थिति ऐसी है कि सिर्फ निर्धारित कोटे का पानी ही शेष है सिंचाई के लिए पानी नहीं है। इसलिए स्थिति को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग द्वारा इस बार रबी सीजन के लिए धान का रकबा शून्य किया गया है। हालांकि इसके बाद भी कई सिंचाई साधन सम्पन्न किसान धान की फसल लेंगे। लेकिन सिंचाई हेतु बांधो से पानी नहीं मिलने के कारण बहुत से किसान धान की फसल से तौबा कर रहे है। बता दे कि इस बार कृषि विभाग द्वारा अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जी, मक्का, मसूर, सरसो, तिवड़ा, मटर और कुछ हद तक गेंहू की फसल बढ़ावा दे रही है। वैसे तो कृषि विभाग द्वारा हर साल फसल चक्र परिवर्तन पर जोर दिया जाता है, लेकिन इस बार बांधो से सिंचाई हेतु पानी न मिलने की स्थिति में होने के कारण फसल चक्र परिवर्तन पर जोर नजर आ रहा है। अब तक रबी फसल हेतु 25 से 30 प्रतिशत की बोआई कार्य हो चुका है।


गंगरेल बांध की जल संग्रहण क्षमता 32.150 टीएमसी है। और वर्तमान स्थिति में बांध में लगभग साढ़े 12 टीएमसी ही उपयोगी पानी है। इसमें गर्मी में निस्तारी, बीएसपी प्लांट, रायपुर, धमतरी नगर निगम को पेयजल देने के बाद लगभग पांच टीएमसी पानी वाष्पीकरण के कारण उड़ता है। सिंचाई के लिए दो टीएमसी पानी ही शेष रह जायेगा। इसी प्रकार मुरुमसिल्ली में लगभग ढाई टीएमसी, सोंढुर बांध में लगभग 3 टीएमसी, दुधावा बांध में लगभग 2.25 टीएमसी उपयोगी पानी है। सिंचाई के लिए इस बार लगभग 8 टीएमसी पानी है। लेकिन सिंचाई हेतु इससे डबल पानी की आवश्यकता होती है। कई ऐसे किसान है। जिनके पास बोर की सुविधा है लेकिन रबी फसल में धान की खेती के लिए ज्यादा पानी लगता है। और गर्मी के मौसम में तेजी से भू जल स्तर घटता है। जिसके चलते बोर भी पर्याप्त पानी नहीं दे पाता। कुछ बोर तो सूख भी जाते है। ऐसे में सिर्फ बोर के भरोसे में बड़े क्षेत्र में धान की फसल लेना भी नुकसान दे सकता है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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