रात में कतारबद्ध होकर ओव्हर स्पीड से शहर से गुजरती है हाईवा
नही लग रहा पा रहा स्पीड पर लगाम, पूर्व में ओव्हरस्पीड हाईवा वाहने ले चुकी है कई लोगो की जान
काल बनकर सड़को पर दौड़ रही वाहनों से सहम जाते है शहरवासी
धमतरी । जिला प्रशासन द्वारा भारी रेत वाहने के शहर प्रवेश का समय निर्धारित करते हुए सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे रेत भरी हाईवा वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। बाउजूद इसके कई बार नियमों का उल्लंघन किया जाता है। वहीं रात्रि 10 बजते ही अधिकांश हाईवा वाहने शहर प्रवेश करती है। लेकिन वाहने एक साथ कतारबद्ध होकर तेज रफ्तार से शहर के सड़कों पर दौड़ती है। जिससे सड़क से गुजरने वाले वाहन चालक व राहगीर सहम जाते है। ज्ञात हो कि पूर्व में ओव्हर स्पीड रेत भरी हाईवा वाहनों से कई सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी है। जिनमें अब तक कई लोगों की असमय मृत्यु हो चुकी है। कई घर के चिराग बूझ चुके है। बाउजूद इसके ओव्हर स्पीड पर लगाम नहीं लग पा रहा है। बता दे कि 10 बजे से ही शहर में हाईवा वाहनों का ज्यादातर प्रवेश होता है इसके पूर्व रायपुर, बस्तर व दुर्ग रोड पर हाईवा वाहने कतारबद्ध होकर 10 बजने का इंतजार करते रहते है। जैसे ही समय होता है हाईवा वाहने तीनों दिशाओं से शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए शहर प्रवेश करते है। और शहर से गुजरते हुए सिहावा रोड पर आगे बढ़ते है। बता दे कि रायपुर रोड से आने वाले वाहने अर्जुनी मोड़, बठेना चौक, नया बस स्टैण्ड, सिहावा चौक से होते हुए सिहावा रोड से होते हुए आगे बढ़ती है। इसी प्रकार दुर्ग रोड से आने वाली हाईवा वाहने रत्नाबांधा रोड से घड़ी चौक होते हुए सिहावा चौक या अम्बेडकर चौक से होते रुद्री रोड व बिलाईमाता मंदिर से होते हुए नहर नाका चौक से सिहावा की ओर बढ़ती है। वहीं बस्तर रोड से आने वाली वाहने अम्बेडकर चौक से होते हुए रुद्री रोड से आगे बढ़कर सिहावा की ओर जाती है। इस पूरे रुट में शहर का अधिकांश भाग आता है और इस व्यस्त मार्ग में तेज रफ्तार कतारबद्ध हाईवा वाहने सड़को पर काल बनकर दौड़ रही है। इन पर रोक लगाने पुलिस व यातायात विभाग का प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है। जिससे रोजाना हादसे की आंशका बनी रहती है।
शहर के भीतर छोटी गाडिय़ों की गति भी हो चुकी है अनियंत्रित
तेज रफ्तार हाईवा वाहनों से दुर्घटना की आंशका के साथ ही दुपहिया व चार पहिया वाहनों की तेज रफ्तार भी हादसे को आमंत्रित कर रही है। शहर के प्रमुख चौक-चौराहो पर यातायात के जवान तैनात रहते है। कोतवाली, यातायात की गाडिय़ां पेट्रोलिंग करती रहती है। बाउजूद इसके शहर के भीतर छोटी गाडिय़ों के तेज रफ्तार पर लगाम नहीं लग पा रहा है। इस दिशा में यातायात पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे है।
नियमत: खदाने बंद है तो कहां से हो रहा इतना रेत का परिवहन
मिली जानकारी के अनुसार पूर्व में जिले में सिर्फ चार रेत खदान ही नियमानुसार संचालित था बाद में इसे भी बंद कर दिया गया था। बाउजूद इसके रोजाना सैकड़ों हाईवा से रेत का परिवहन जिले से हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि खदाने बंद होने के बाद भी इतनी बड़ी मात्रा में रेत का परिवहन कैसे संभव है। यदि डंप रेत के परिवहन की बात की जाए तो भी सैकड़ों वाहनो से रोजाना डंप यार्ड से रेत का परिवहन संभव नहीं है। ऐसे में खनिज विभाग के कार्यप्रणाली पर भी लोग सवाल उठा रहे है।