मुंबई के छात्र धमतरी के अनंत जैन को इंटर्नशिप के बाद सार्थक स्कूल द्वारा दिया गया फेयरवेल
पढ़ाई अथवा करियर के क्षेत्र में ईमानदारी से इंटर्नशिप करने का लाभ, छात्रों को निश्चित मिलता है- डॉ.सरिता दोशी
धमतरी। मानसिक दिव्यांग प्रशिक्षण केंद्र सार्थक स्कूल में, धमतरी के अनंत जैन को उनकी मम्मी रीना जैन,पापा दीपक जैन और चाचा मुकेश जैन की उपस्थिति में सार्थक के विशेष बच्चों ने फेयरवेल दिया। ज्ञात हो कि, अनंत जैन मुंबई में एम. बी. ए. के छात्र हैं ,जो एक प्रोजेक्ट के तहत, कॉलेज की परमिशन लेकर ,सार्थक के विशेष बच्चों को गतिविधियां सिखाने आए। 24 दिन तक नियमित रूप से विशेष बच्चों को खेल-खेल में गणित का जोडऩा, घटाना, पहाड़ा, हिंदी में वर्णमाला, मात्रा की पहचान करना, पढऩा, लिखना, अंग्रेजी-स्पेलिंग लिखना सिखाया। क्रॉफ्ट वर्क में पेपर काटना, चिपकाना, ड्रॉइंग पेटिंग,स्पोट्र्स में बॉल टैप करना, कैच करना, भी सिखाया। बच्चों ने भी अनंत के सहज, सरल और मृदु स्वभाव के चलते ,दोस्ती कर एंजॉय करते हुए सीखने की उत्साहजनक कोशिश की। अनंत ने बच्चों के साथ केक काटकर सबको खिलाया।बच्चों का, अनंत के प्रति निश्छल प्रेम देख, अनंत के मम्मी- पापा भावुक हो गए। अनंत ने कहा कि, यहां के प्रशिक्षक बच्चों के लिए बेहद मेहनत करते हैं बच्चों की प्रतिभाओं से यह पता चलता है।
अनंत ने कहा, विशेष बच्चों के साथ जुड़कर उन्हें प्रशिक्षण देने से हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे हमारी कार्य शक्ति बढ़ती है। अनंत ने बच्चों को स्टेशनरी सामग्री का उपहार दिया और सभी बच्चों को, दीपक एवं रीना जैन ने अपने हाथों से स्वल्पाहार कराया। जैन परिवार की ओर से सार्थक स्कूल को, 5100 रुपयों की सहयोग राशि भेंट की गई। सार्थक अध्यक्ष डॉ. सरिता दोशी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, अनंत एक होनहार और दृढ़ संकल्पी युवा है, और उसने एक बहुत ईमानदार इंटर्न के रूप में स्कूल में कार्य किया है। उसने विशेष बच्चों की कोमल भावनाओं को धैर्य के साथ समझते हुए, उन्हे खेल _खेल में सिखाकर, दोस्ती कर ली। इसी तरह से नई पीढ़ी को संवेदनशील होकर ईमानदारी के साथ इंटर्नशिप करना चाहिए। इससे उन्हें पढ़ाई के साथ साथ करियर निर्माण में निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। कार्यक्रम का संचालन सचिव स्नेहा राठौड़ ने किया। इस अवसर पर प्रशिक्षक मैथिली गोड़े, गीतांजलि देवी, स्वीटी सोनी, देविका दीवान, सुनैना गोड़े उपस्थित थे।