नए कानूनों में ऐसे कई प्रविधान किए गए हैं, जो न्याय की अवधारणा को करेंगे मजबूत – अधिवक्ता मुकेश साहू
मूलचंद सिन्हा
कुरुद। नये कानून की जानकारी अधिवक्ता संघ कुरुद के अध्यक्ष मुकेश साहू ने बताया कि अंग्रेज के जमाने से चले आ रहे 125 वर्ष पुराने तीन आपराधिक कानून भारतीय दण्ड संहिता 1872.1860. दण्ड प्रकृपा संहित तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 30 जून को अप्पराधिक प्रावधान की संहिताओं को समाप्त हो जाएगा। तीन नए पृथक वैधानिक प्रावधान की व्याख्या करने हेतु तीन संहिताओं को 1 जुलाई से पूरे देश मे लागू कर दिया गया है। आगे बताया कि उक्त नए आपराधिक संहिताओं के प्रक्रिया में आ जाने से दाण्डिक न्याय प्रणाली की दक्षता में सुधार आएगा। नई आपराधिक संहिता घटित अपराध की जांच तथा अपराध के विचारण को सरल एवं दंड की प्राधिकता को बढ़ाने व्यापक प्रावधान किए हैं। ईलेक्ट्रानिक साक्ष्य की ग्रहणता को सरल बनाया जाकर फोरेंसिक साईंस एवं विधि विज्ञान साक्ष्य को अपराध की जांच व विचारण में आवश्यक बनाया गया है। राजनीतिक दबाव के चलते अब तक कई संगीन मुकदमे भी कोर्ट से वापस हो जाते थे, लेकिन एक जुलाई से तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू होने के बाद यह संभव नहीं होगा। अब न्यायालय में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीडि़त को कोर्ट में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा। न्यायालय पीडि़त को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा। नए कानूनों में ऐसे कई प्रविधान किए गए हैं, जो न्याय की अवधारणा को मजबूत करते हैं। समयबद्ध न्याय के लिए पुलिस व कोर्ट के लिए सीमाएं भी निर्धारित की गई हैं। अंग्रेजों के बनाए कानून खत्म हुए तो पहली बार छोटे अपराधों में सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा का भी प्रविधान किया गया है। पुलिस विवेचना में अब तकनीक का उपयोग अधिक से अधिक होगा। इसके लिए डिजिटल साक्ष्यों को पारंपरिक साक्ष्यों के रूप में मान्यता दी गई है। ई-एफआइआर व जीरो एफआइआर की भी व्यवस्था की गई है। आतंकवाद व संगठित अपराध जैसे नए विषय भी जोड़े गए हैं।
कार्यवाहियों का डिजिटलाइजेशन किया गया अनिवार्य
अब नए आपराधिक न्याय व्यवस्था के आधार पर पुलिस थाना की कार्यवाहियों में पारदर्शिता लाने के लिए उनके समस्त कार्यवाहियों जैसे एफआईआर अंतिम प्रतिवेदन, अभियोग पत्र आदि का डिजिटलाइजेश किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। पुराने दण्ड संहिता में जहां 0511 धाराएं होते थे अब नए न्याय संहिता में 175 आपराधिक प्रावधानों में ही अ संशोधन किया जाकर 22 धाराओ को हटाया गया है, 8 नई आपराधिक प्रावधानों को जोड़ा गया है। इस प्रकार केन्द्र सरकार द्वारा अंग्रेजो के जमाने से चले आ रहे आपराधिक न्याय प्रणाली को समाप्त कर भारत देश के नये कानून को संहिता बद्ध किया गया है जो कि 1 जुलाई से प्रवृत होकर लागू हो जायेगा। नए संहिता में अपराधी की गिरफ्तारी के आधारों पर व्यापक विस्तार किया गया है।