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नारायण की भक्ति में ही परम आनंद मिलता है- रामप्रसाद शास्त्री

रुद्री स्थित साहू सदन में साहू परिवार द्वारा कराई जा रही भागवत कथा

धमतरी। रुद्री स्थित साहू सदन में नरेंद्र साहू एवं समस्त साहू परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन कथावाचक आचार्य रामप्रताप शास्त्री महाराज ने कहा कि जीवन में यदि मान, बड़ा पद या प्रतिष्ठा मिला जाए तो उसे ईश्वर की कृपा मानकर भलाई के कार्य करना चाहिए, लेकिन यदि उसका जीवन में किंचित मात्र भी अभिमान हुआ तो वह पाप का भागीदार बना देता है। अहंकार से भरे राजा परीक्षित ने जंगल में साधना कर रहे शमीक ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल दिया। परिणामस्वरूप राजा परीक्षित को एक सप्ताह में मृत्यु का शाप मिला।

जब परीक्षित ने अपने सिर से स्वर्ण मुकुट को उतारा तो उन पर से कलियुग का प्रभाव समाप्त हो गया और उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। श्री शास्त्री जी ने कहा कि जब-जब भक्तों पर विपदा आती है तब भगवान उनके कल्याण के लिए सामने आते हैं। परीक्षित को भवसागर से पार लगाने के लिए अब भगवान शुकदेव के रूप में प्रकट हो गए और श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर परीक्षित को अपने चरणों में स्थान प्रदान किया। भगवान प्रेम के भूखे हैं। वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि वासना को वस्त्र की भांति त्याग देना चाहिए। भागवत कथा का जो श्रवण करता है भगवान का आशीर्वाद बना रहता है।

कथा श्रवण करने पहुंचे सुनील साहू, केके साहू, सीयाराम साहू, रेमन साहू, आरके साहू, रवि साहू, मुकेश पांडे, रामकुमार साहू, गजानंद साहू, माधवेन्द्र हिरवानी, पूर्व विधायक रंजना साहू, गुरु मां कुंबेकर, अर्चना साहू माया, साहू, गूंजा साहू, चांदनी, रूखमग्त साहू, सहित क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में पहुंचे थे।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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