12 से 24 वर्ष की आयु जीवन में सीखने की उम्र है इसका सदुपयोग कर मंजिल पा सकते है – पंडित अतुलकृष्ण
दिव्य रामकथा स्थल में हुआ छात्र-छात्राओं के लिए मोटिवेशनल कार्यक्रम
धमतरी । दिव्य रामकथा स्थल पुरानी कृषि मंडी में छात्र-छात्राओं के लिए सुबह मोटिवेशनल कार्यक्रम रखा गया। इसमें वृंदावन धाम से पहुंचे कथा व्यास पंडित अतुलकृष्ण भरद्वाज महाराज ने बच्चों को शिक्षा का महत्व बता उन्हें आगे बढऩे के आवश्यक टिप्स दिये। इसके तहत पंडित अतुल कृष्ण महाराज ने प्रणाम का महत्व बताते हुए कहा कि इसकी बहुत बड़ी महिमा है। क्योकि आशीर्वाद का एक अलग महत्व होता है। जब भी आप बाहर निकले अपने बड़ो को प्रणाम एवं आशीर्वाद प्राप्त कर ही निकले। इससे आपको सफलता मिलेगी। जीवन में गुण और दोष दोनो होते है। ज्ञान ही दोष और गुण को अलग अलग कर सकते है। भारत देश का जिक्र करते हुए बताया कि यह देश पूरी दुनिया को प्रेम सिखाता है। ऐसा देश और कही नही मिलेगा। यहां विविधता में एकता देखने को मिलती है। उन्होने बताया कि 12 से 24 वर्ष की आयु जीवन में सीखकने की उम्र होता है। यह जीवन का कीमती समय है। इसका सदुपयोग करने पर हम अपनी मंजिल पा सकते है। क्योकि इस अवधि में ही कैरियर बनता है। इसलिए उक्त अवधि के समय को सदुपयोग करेगा वह हीरो बनेगा। दुरपयोग करने वाला जीरो बनेगा। पंडित अतुलकृष्ण महाराज ने रामभक्त हनुमान का जिक्र करते हुए कहा कि हनुमान जी से हम बल और बुद्धि दोनो मांगते है। लेकिन आज के अधिकांश बच्चे तो मोबाइल के लत में पड़े है। मोबाइल की लत की वजह से ऐसे बच्चों में न बुद्धि आ रही है। और न ही उन्हें बल मिल रहा है। छात्र जीवन में समय बड़ा अमूल्य होता है। इसलिए इसका सही उपयोग करे। इससे सफलता अवश्य मिलेगी। वही उन्होंने असफलता से निराश न होकर दोगुना मेहनत करने सहित आवश्यक टिप्स दिये।