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जिस दिन हम अपने अंदर से कषाय को निकाल देंगे उस दिन दुख भी निकल जाएगा – परम पूज्य प्रशम सागर जी म.सा.


धमतरी। परम पूज्य उपाध्याय प्रवर अध्यात्मयोगी महेंद्र सागर जी महाराज साहेब परम पूज्य उपाध्याय प्रवर युवामनीषी स्वाध्याय प्रेमी मनीष सागर जी महाराज साहेब के सुशिष्य परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहेब परम पूज्य योगवर्धन जी महाराज साहेब श्री पाश्र्वनाथ जिनालय इतवारी बाजार धमतरी में विराजमान है। आज परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहेब ने प्रवचन के माध्यम से फरमाया कि चातुर्मास काल अपनी गति से आगे बढ़ रहा है। आप और हम सभी धर्म ध्यान से जुड़े हुए है। जिनवाणी का श्रवण करके हमें आत्मा के भेद को समझकर अपने दुख को दूर करना है और सुख की प्राप्ति करना है। आत्मा में कई जन्मों की पाप रूपी बीमारी लगी हुई है यही दुख का कारण है। अब जिनवाणी के माध्यम से उन पापों को आत्मा से निकलना है। सुख अपने आप ही आत्मा को प्राप्त हो जायेगा। 18 पाप स्थानकों में छठवें से दसवें तक का पाप क्रोध, मान, माया, लोभ है। और इन चारों पाप को कषाय कहते है। ज्ञानी कहते है आत्मा का दुख, क्लेश, पीड़ा है कषाय। कषाय आत्मा में रहकर आत्मा को ही दुखी करता है। संसार का सृजन कषाय से होता है। कुछ कषाय शारीरिक तो कुछ मानसिक पीड़ा का कारण बनता है। परमात्मा कहते है पीड़ा से, दुख से और चारों गति से मुक्त होने का एक उपाय है कषाय को छोडऩा अर्थात कषाय से मुक्त होना। जिस दिन हम अपने अंदर से कषाय को निकाल देंगे उस दिन दुख भी निकल जाएगा। ज्ञानी कहते है अगर हमारा जन्ममरण चल रहा है मतलब हम कषाय को छोड़ नहीं पाए है। संसार भ्रमण का कारण ही कषाय है। जब तक कषाय के स्वरूप को हम नहीं समझ पाएंगे तब तक शांति को समझना कठिन है। कषाय अनवरत आत्मा में चलते रहती है। जैसे ही कोई निमित्त मिलता है कषाय दिखाई देने लग जाता है। शरीर में जो भी कष्ट या दुख आता है उसका कारण कषाय ही है। कषाय है तो दुख है और कषाय नहीं है तो सुख है। ज्ञानी कषाय की परिभाषा बताते हुए कहते है। आत्मा का मैल ही कषाय है। आत्मा का दाग, अपवित्रता ही कषाय है। जो संसार भ्रमण बढ़ाए ऐसे सभी भाव कषाय है। इस आत्मा में हिंसा को वृद्धि करना, भावों की वृद्धि करना, राग में वृद्धि करना ही कषाय है। ऐसा भाव जो स्वयं की आत्मा को पहले दुखी करे उसके बाद सामने वाले को दुखी करे वह कषाय है। संसार के किसी भी पाप का कारण ही कषाय है। जो वर्तमान में हमे अशांत करे साथ ही भविष्य में दुख और दुर्गति का कारण बनता है वहीं कषाय है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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