सिहावा रोड पर हर पल छाया रहता है धूल का गुबार, राहगीर, व्यापारी व निवासी है परेशान
बारिश हो तो गड्ढे व कीचड़ से और बारिश थमे तो धूल से बढ़ जाती है परेशानी

धमतरी. बारिश थमते ही शहर की सड़को पर धूल का गुबार छाने लगा है। कुछ विशेष मार्गो पर जैसे सिहावा मार्ग पर तो धूल के गुबार से न सिर्फ राहगीर, वाहन चालक बल्कि दुकानदार व आसपास के निवासी भी परेशान है। यह समस्या हर साल बारिश के मौसम में बढ़ जाती है। लेकिन इससे राहत के प्रयास नहीं होते।
बता दे कि वर्तमान में बारिश थमने के बाद वाहनों के पहियों से चिपक कर कीचड़ मिटट्ी सड़क पर आ जाता है। जो कि सूखकर धूल में बदल जाता है। खासकर कृषि कार्यो से लगे वाहनों से मिट्टी सड़क पर फैल जाती है। वहीं नियमित सड़कों की सफाई नहीं होने से भी सड़क पर धूल उड़ता रहता है। शहर के सड़कों व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो की सड़क किनारे की मिट्टी की पकड़ मजबूत नहीं रह गयी है। इससे हवा का झोंका आने व वाहनों के पहियों से उड़कर यहां वहां फैल जाता है। शहर के रत्नाबांधा रोड सिहावा रोड, बिलाईमाता मंदिर से नहर नाका रोड, कोलियारी रोड पर तो स्थिति दयनीय है। उक्त मार्गो पर यदि एक बड़े वाहन के पीछे चले तो धूल से सराबोर होना ही पड़ता है। इन मार्गो पर धूल की समस्या इतनी ज्यादा है कि राहगीर व लोग परेशान है.
छतो में नहीं सुख सकते है खाद्य सामाग्री
सिहावा रोड पर स्थिति ज्यादा खराब है। यहां स्थिति गांव की कच्ची सड़के से भी खराब है। एक भारी वाहन यहां से गुजर जाये तो धुल का गुबार ऐसे उड़ता है जैसे बम फट गया हो और यदि बारिश हो तो कीचड़ से रास्ता सना रहता है। आसपास के दुकानदारों, निवासियों ने बताया कि यहां हमेशा की धुल की समस्या रहती है। लेकन बारिश के मौसम में समस्या और बढ़ जाती है। धुल इतना उड़ता है छतों पर न कपड़े सुखा सकते है औ न ही खाद्य सामाग्री, घरों दुकानों पर धुल की परत रोजाना चढ़ जाती है।
नेत्र व श्वास रोगियों के लिए है घातक
बता दे कि ज्यादा धूल उडऩे से उक्त मार्ग पर चलने से धूल श्वास के साथ हमारे शरीर के भीतर चला जाता है। और यही फेफड़ो व श्वास प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। विशेषकर दमा व श्वास रोगियों के लिए सड़कों पर छाया धूल का गुबार काफी घातक है। वहीं वाहने से उडऩे वाले धुल के कण पीछे चल रहे दुपहिया व राहगीरों के आंख में चला जाता है। जिससे आंख की पुतलियों खरोच, दर्द, आंसू आना, लाल होने आदि की समस्या उत्पन्न होती है। यदि आंख को ज्यादा मसल दिया जाये तो धूल के कणों से पुतलियां डैमेज होने का खतरा बना रहता है।

