जल, जंगल, जमीन के रक्षक प्रकृति प्रेमी ग्राम कसावही के समस्त आदिवासी भाई–बहनों के साथ विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर विधायक रंजना साहू शामिल होकर शुभकामनाएं दिए एवं स्वयं शोभायात्रा में सर पर कलश रखकर विश्व आदिवासी दिवस की सहभागी बनी
धर्म, प्रकृति व संस्कृति के रक्षक हैं आदिवासी समाज : रंजना साहू
सनातन परंपरा में आदिवासी समाज का योगदान महत्वपूर्ण : उमेश साहू
धमतरी जल, जंगल, जमीन के रक्षक प्रकृति प्रेमी ग्राम कसावही के समस्त आदिवासी भाई–बहनों के साथ विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर विधायक रंजना डीपेंद्र साहू शामिल होकर शुभकामनाएं दिए एवं स्वयं शोभायात्रा में सर पर कलश रखकर विश्व आदिवासी दिवस की सहभागी बनी। इससे पूर्व समस्त समाज पदाधिकारी विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में विधायक जी को आमंत्रित करने निज निवास पहुंचे, जिसको विधायक ने आशीर्वाद स्वरूप आमंत्रण को स्वीकार किए। विधायक ने ग्राम कसावही में आदिवासी समाज द्वारा आयोजित भव्य शोभायात्रा में सर्वप्रथम शामिल हुई जहां पर समाज जनों ने पुष्पमाला पहनाकर एवं पारंपरिक रूप से सिर पर गमछा बांधकर स्वागत अतिथि का किए। विधायक ने कहां की प्रकृति के सच्चे सेवक के रूप में जनजाति समुदाय के लोग अनंतकाल से पारिस्थितिक संतुलन बनाएं रखने में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा पूरे विश्व के आदिवासी समाज को दिवस के रूप में मनाने के लिए ९ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में बनाने की घोषणा की गई जिसे आज पर्यंत तक विश्व के सभी आदिवासी समुदाय इस दिवस को मना रहे, जो स्वर्णिम है।
श्रीमती साहू ने आगे कहा कि मूल्य, कला, भाषा, उत्सव, परंपराएं, नृत्य एवं आदिवासी महापुरुष देश व प्रदेश की अमूल्य धरोहर है, विश्व में धर्म प्रकृति संस्कृति के रक्षक आदिवासी समाज है। गंगरेल मंडल अध्यक्ष एवं सांसद प्रतिनिधि उमेश साहू ने बताया कि सनातन परंपरा में आदिवासी समाज का योगदान महत्वपूर्ण है, आदिवासी समाज के द्वारा छत्तीसगढ़ व देश के लिए किए गए बलिदानों व अमूल्य कार्यों को सदैव याद किया जाता है। कसावही के आदिवासी समाज के द्वारा अपनी परंपराओं एवं अपनी मांगों से विधायक को अवगत कराएं। विश्व आदिवासी दिवस पर इस गरिमा में कार्यक्रम में मुख्य रूप से आमदी मंडल महामंत्री अमन राव, ग्राम पंचायत सरपंच नोमीन साहू, सुमन मण्डावी, रतनलाल कुमर्रा, रूपराम वीके, छबिलाल नेताम, हिंछाराम, जन्माजय, शत्रुघ्न, निरुप ध्रुव, जनक ध्रुव, धनेश ध्रुव, गुलशन ध्रुव, लीलू राम टेकाम, लखन राम वीके, नारद राम, तुलसी बाई, सांवली बाई, दुर्गा बाई, खेदी बाई, उर्मिला बाई, रतनी बाई सहित बड़ी संख्या में समाजिक जन ग्रामीण उपस्थित रहे।