मन की एकाग्रता ही जीवन का है मूलमंत्र, संसय बिगाड़ देती है सारे काम – प्राची देवी
श्री गौशाला मैदान में श्री रामकथा के तीसरे दिन बाल काण्ड की विशद व्याख्या
धमतरी। संसारी वस्तुओं की मनोरमता एक वक्त के बाद समाप्त होने लगती है. मनुष्य का लोभ कभी खत्म नही होता, हमेशा कुछ नया पाने की चाह लोगों के मन मे लगे रहती है. जो उसके पास उपलब्ध है उससे मन उभने लगता है. लेकिन राम नाम की मनोरमता कभी समाप्त नही होती. राम नाम लेते रहना चाहिए. तीसरे दिन की कथा का वाचन करते हुए पूज्या प्राची देवी ने आगे कहा कि भगवान श्री राम की महिमा अपरंपार है. भगवान राम की मनोरमता कभी समाप्त नही होने वाली. माधव भैय्या जी राव परिवार द्वारा धमतरी के राष्ट्रीय गौशाला मैदान में आयोजित श्री राम कथा में श्री राम कथा का रसपान करने भक्तों की भीड़ उमड़ रही है कथा के तीसरे दिन राम कथा का रसपान करवा रही कथा वाचक पूज्या प्राची देवी ने बाल काण्ड की विशद व्याख्या की. प्राची देवी ने कहा कि अगर किसी के घर कोई संत या अतिथि आये तो उनका सत्कार जरूर करना चाहिए इससे आपके संस्कार प्रदर्शित होते है. उन्होंने आगे कहा कि संसय हमेशा लोगों के मन बनी रहती है मन अगर एकाग्रचित्त नही है तो कोई भी काम सफल नही होता है. कोई भी काम करने से पहले मन की एकाग्रता जरूरी है. राम कथा सुनने के लिए रामरस का होना बेहद जरूरी है कथा में संसय होता है और समाधन भी यहीं मिलता है मन अगर कहीं और है तो तीन घंटे भी कथा सुन रहे तो आपको कोई फायदा नही मिलेगा. कथा सुनने माधव राव पवार, अशोक पवार, आनंद पवार, रीतुराज पवार, राहुल पवार, विपिन साहू, कृष्णा हिरवानी, करुणा पवार, संजीव वाहिले, रायपुर से ममता रविशंकर सोनी, धमतरी से बंसी लाल यादव, राकेश मिश्रा, ममता मिश्रा, अर्जुन साहू, चेम्बर ऑफ कॉमर्स से महेश जसूजा एवं सदस्य समेत मराठा समाज की महिलाएं और बड़ी संख्या में राम भक्त मौजूद थे.