हटकेशर के नागदेव मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़
नागदेव को दूध अर्पित करने जिले सहित दूरदराज से पहुंचे भक्त
धमतरी। नागपंचमी के अवसर पर आज हटकेशर स्थित नागदेव मंदिर में सुबह से ही नाग देवता की पूजा अर्चना करने भक्तों की भीड़ उमड़ी और भगवान नागदेव को दूध अर्पित करने भक्त कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे।
उल्लेखनीय है कि हटकेशर के नागदेव मंदिर जिले के प्राचीन मंदिरो में से एक जिसकी ख्याति धमतरी सहित आसपास के क्षेत्रो में फैली हुई है। चुंकि हटकेशर स्थित मंदिर जिले के एक मात्र नागदेव का मंदिर है। इसलिए भक्तों की आपार श्रद्धा इस मंदिर से जुटी हुई है। इसका इतिहास भी लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर की इतिहास को बनाये रखने स्थानीय निवासियों द्वारा नागदेव महोत्सव समिति का गठन कर हर साल नागपंचमी के अवसर पर विविध आयोजन किये जाते है। आज भी नागपंचमी पर मंदिर में वृहद रुप में उत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है। स्थानीय लोगो बताया कि नागदेव की कृपा हमेशा ही वार्डवासियों पर बनी रही है। आज नागपंचमी के अवसर पर न सिर्फ धमतरी बल्कि आसपास के जिलों के भक्तों भी नागदेव को दूध अर्पित करने मंदिर पहुंचे और पूजा अर्चना कर मनोकामना पूर्ति की कामना की।
कालसर्प दोष शांति अनुष्ठान
नगर के अति प्राचीन तथा ऐतिहासिक हाटकेश्वर नागदेव मंदिर में नागपंचमी के अवसर पर कालसर्प दोष निवारण यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया गया। कालसर्प दोष महापुरुषों के कुंडली में भी पाया गया है, बस इस दोष के निगेटिव ऊर्जा को अनुष्ठान के माध्यम से पॉजिटिव ऊर्जा में बदलना है. दोष से पीडि़त जातक को सभी क्षेत्रों में असफलता, मांगलिक कार्य में बाधा, संतान सुख से वंचित, सर्प के डरावने सपने, परिवार में तनाव का सामना करना पड़ता है. दोष का निवारण ज्योतिर्लिंगों में होती है, लेकिन अब पीडि़त जातकों को ज्योतिर्लिंग में जाने की आवश्यकता नहीं है. सिद्ध हाटकेश्वर नागदेव की छत्रछाया में अनुष्ठान का फल हजार गुना से अधिक मिलेगा. कालसर्प दोष निवारण पूजा नदी के मध्य में करना शास्त्र सम्मत है. नगर के हटकेशर वार्ड के रास्ते आज भी सुषुप्त अवस्था में एक गुप्त नदी बहती है, जिसके महानदी से पश्चिम की ओर एक बेल्ट में गुजरने का प्रमाण आज भी मिलता है. इस बेल्ट में नदी की चौड़ाई और गहराई लिए रेतीली जमीन को देखा जा सकता है।